International Yoga Day 2021: कोरोना के माइल्ड इंफेक्शन को दूर करने में बेहद कारगर हैं ये 3 योग

International Yoga Day 2021 इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही कोरोना से बचाव का एक माध्यम भी है योगाभ्यास। अनिश्चितता भरे माहौल में योग क्रियाएं करके कोविड के रिस्क को मिनिमाइज किया जा सकता है। पोस्ट इंफेक्शन कॉम्प्लीकेशन फेज में शरीर को क्योर करने में मदद करते हैं ये योगाभ्यास।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 09:17 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 09:17 AM (IST)
International Yoga Day 2021: कोरोना के माइल्ड इंफेक्शन को दूर करने में बेहद कारगर हैं ये 3 योग
स्टूडियो में अनुलोम विलोम प्राणायाम करती महिला

मेडिकल एक्सपर्ट्स ने भी इस बात को माना है कि योग के जरिए माइल्ड इनफेक्शन कॉम्प्लिकेशंस और पोस्ट इनफेक्शन कॉम्पेक्सिटी को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिलती है। वहीं जनरल लाइफ में भी इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही कोरोना से बचाव का एक माध्यम भी है। ऐसे में जानिए उन योग व एक्सरसाइज टेक्नीक्स के बारे में जो इंफेक्शन फेज, पोस्ट इंफेक्शन कॉम्प्लीकेशन फेज में शरीर को क्योर करने में मदद करते हैं।

साई से मिलती है राहत

कैसे करें

- इस प्राणायाम में आपको पहले नाक के अंदर सांस भरनी है।

- फिर ज्यादा से ज्यादा सांस को अंदर लेने के बाद सांस छोड़ते समय एक पाउट बनाना है।

- आपको होठों को सिकोड़कर एक चोंच जैसा बनाना है।

- फिर थोड़ी सी हा की आवाज के साथ सांस को बाहर छोड़ना है।

क्या है फायदा

यह प्राणायाम का हिस्सा है। इसलिए यह ब्रीदिंग टेक्नीक कई मामलों में कारगर है।

शरीर में ऑक्सीजन के फ्लो को बढ़ाता है और शरीर को हल्का महसूस करने में मदद करता है।

स्ट्रेस और हाई बीपी को शांत करने में भी काफी मददगार है। टेंशन को तुरंत घटाने व वापस से नॉर्मल होने के लिए इसका प्रयोग करना अच्छा होता है।

कब न करें?

- इसे करने से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि यह हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

- हां, कोरोना के दौरान कोशिश करें कि जितनी आपकी शारीरिक एबिलिटी हो उतनी ही जोर से इस क्रिया को करें।

- शरीर पर ज्यादा दबाव न डालें क्योंकि इससे आपको सांसों में भारीपन या खांसी की टेंडेंसी बढ़ सकती है।

कितनी देर करें

एक बार में 35 से 40 बार करना चाहिए। दिन में 5 से 6 बार योग को कर सकते हैं। यानी 10 से 15 मिनट तक। आंखें बंद कर मेडिटेशन की तरह किया जा सकता है।

हल्के-हल्के करें कपालभाति

कैसे करें

- सबसे पहले आराम से बैठकर शुरुआत करें।

- अपनी कमर को सीधा रखें और आंख बंद रखें।

- अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर रखें और तैयार हो जाएं।

- नाक के जरिए सांस लें और तेजी से सांस छोड़ें।

- अपनी नाभि को रीढ़ की ओर खीचें, फिर पेट से ताकत के साथ फेफड़ों से हवा को बाहर निकालें।

- जैसे ही आप नाभि और पेट को आराम देंगे तो आपकी सांस अपने आप आपके फेफड़ों में चली जाएगी।

- एक राउंड के लिए ऐसी 20 सांसें लीजिए। अपनी आंखों को बिना खोले आराम कीजिए और अपने शरीर में प्रतिक्रिया को महसूस कीजिए।

- अब आप कपालभाति प्राणाायाम के 2 और राउंड कर सकते हैं।

क्या है फायदा?

- यह फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है।

- यह सांस लेने के रास्ते बलगम साफ करता है और राहत देता है।

- यह सूजन को कम करता है।

- यह नाड़ियों को साफ करता है।

- यह वजन घटाने में मदद करता है।

- यह पेट के अंगों में काम करता है, जिससे पेट फ्लैट और टोन्ड हो जाता है।

कब न करें

- कपालभाति बिना नाश्ता किए खाली पेट करना सबसे बेहतर होता है।

- आप इसे रात के भोजन के दो घंटे बाद भी कर सकते हैं।

- जब पेट भरा हो, भारी हो और इनडाइजेशन संबंघी समस्याएं हों तो इसे मत करें।

- वहीं, महिलाओं को गर्भावस्था और पीरियड्स के दौरान कपालभाति नहीं करना चाहिए।

अचूक है अनुलोम-विलोम

कैसे करें

अनुलोम-विलोम में नाक के एक नथुने से सांस छोड़ते हैं। फिर जिससे सांस छोड़ी है उसी से वापस सांस लेनी है। दोनों तरफ से इसे करते हैं।

अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से 4 तक की गिनती में सांस भरें।

Pic credit- freepik

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