बैक बोन से जुड़ी समस्याओं से चाहते हैं बचना, तो हर एक घंटे बाद 6 मिनट की वॉक करते रहना

पीएमसी (PMC) लैब की एक रिसर्च के अनुसार कोविड- 19 के दौरान वर्क फ्रॉम होम करने वाले 41.2 परसेंट लोगों ने पीठ दर्द और 23.5 परसेंट लोगों ने गर्दन दर्द की शिकायत की। इसलिए लंबे वक्त तक बैठना करें अवॉयड।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 01:42 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 04:25 PM (IST)
बैक बोन से जुड़ी समस्याओं से चाहते हैं बचना, तो हर एक घंटे बाद 6 मिनट की वॉक करते रहना
डॉक्टर को पीठ दर्द बताती हुई महिला

बैक बोन से जुड़ी कोई भी प्रॉब्लम सिर्फ शारीरिक रूप से ही परेशान नहीं करती बल्कि मानसिक रूप से भी इंसान बहुत ज्यादा परेशान रहता है। कोरोना के चलते वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा जो अभी भी कई जगहों पर जारी ही है। एक तरह बेशक इससे लोगों का ट्रैवल टाइम बच रहा है लेकिन वहीं बैठने की सही व्यवस्था न होने की वजह से लोग पीठ, गर्दन, कंधे और कमर दर्द का भी शिकार हो रहे हैं। पीएमसी (PMC) लैब की एक रिसर्च के अनुसार, कोविड- 19 के दौरान वर्क फ्रॉम होम करने वाले 41.2 परसेंट लोगों ने पीठ दर्द और 23.5 परसेंट लोगों ने गर्दन दर्द की शिकायत की। लेकिन ऐसा उन्हीं के साथ हुआ जो लंबे समय तक बैठकर काम करते रहें। एक घंटा बैठने के बाद अगर आप ज्यादा नहीं बस 6 मिनट की ही वॉक कर लें तो स्पाइन से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके साथ ही सुबह या शाम जब भी वक्त मिले चाइल्ड पोज, कैट और काऊ पोज योग आसनों को भी अपने रूटीन में शामिल करें। बहुत ज्यादा दर्द हो तो डॉक्टर को दिखाने में देर न करें।

स्पाइन पर क्या-क्या होता है असर?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का शोध के अनुसार स्पाइन की प्रॉब्लम इन परेशानियों की भी बन सकती है वजह।

पीठ दर्द 

लंबे वक्त तक झुककर काम करने या बैठने से स्पाइन की डिस्क काम्पैक्ट होने लगती है। फिजिकल एक्टिविटीज कम होने से स्पाइन के आसपास के लिगामेंट टाइट होने लगते हैं। जिससे स्पाइन का लचीलापन कम होने लगता है, नतीजा पीठ दर्द। 

मांसपेशियों में कमजोरी

देर तक गलत पोश्चर में बैठने के चलते पेट और उसके आसपास की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। 

गर्दन और कंधे में दर्द

लगातार बैठे रहने से स्पाइन को सिर से जोड़ने वाली सर्वाइकल वर्टेब्रा में तनाव पड़ने के कारण में दर्द होने लगता है। इसके साथ ही कंधे और पीठ की मसल्स को भी नुकसान पहुंचता है।

ब्रेन फॉग की प्रॉब्लम

मूवमेंट न होने पर मस्तिष्क में पहुंचने वाले ब्ल्ड और ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। जिससे सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है।

Pic credit- pexels

chat bot
आपका साथी