Delta Plus Variant: डेल्टा प्लस वैरिएंट के कहर से बचने के लिए क्या करना होगा, जानें एक्सपर्ट्स की राय
Delta Plus Variant भारत से पहले यह वैरिएंट 9 देशों में पाया जा चुका है। जिसमें अमेरिका इंग्लैंड पोर्तुगल स्विटज़रलैंड जपान पोलैंड नेपाल चीन और रूस शामिल हैं। वहीं भारत में महाराष्ट्र ( 20 से ज़्यादा मामले) मध्यप्रदेश (5 मामले) कर्नाटक (2) केरल (3) तमिलनाडु (1) और जम्मू-कश्मीर (1)।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Delta Plus Variant: भारत में कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट का कहर अभी कुछ कम हुआ ही था कि अब डेल्टा प्लस वैरिएंट ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि सरकार ने भी इस नए वैरिएंट के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। भारत से पहले यह वैरिएंट 9 देशों में पाया जा चुका है। जिसमें अमेरिका, इंग्लैंड, पोर्तुगल, स्विटज़रलैंड, जपान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस शामिल हैं। वहीं, भारत में महाराष्ट्र ( 20 से ज़्यादा मामले), मध्यप्रदेश (5 मामले), कर्नाटक (2), केरल (3), तमिलनाडु (1) और जम्मू-कश्मीर (1)।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज का कहना है, "डेल्टा प्लस वैरिएंट देश में आना चिंता की बात है। भारत में ख़ास करके महाराष्ट्र में 22 केसेस पहले ही इस वैरिएंट के देखे जा चुके हैं। महाराष्ट्र पहले से ही तीसरी लहर के लिए तैयार है। ऐसा लग रहा है कि अगले छह से आठ हफ्तों में तीसरी लहर महाराष्ट्र में पहुंच जाएगी। जिस तरह से आख़िरी लहर में डेल्टा वैरिएंट की वजह से तबाही मची थी, दोबारा इसी की आशंका है।
डेल्टा से कैसे अलग है डेल्टा प्लस वैरिएंट?
डॉ. बजाज ने कहा, "डेल्टा प्लस वैरियंट के कई ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से चिंता बढ़ जाती है। पहला कारण यह है कि इस वायरस का वैरिएंट बहुत ज़्यादा संक्रामक है, अन्य पिछले वैरियंट की संक्रामकता की तुलना में इस वैरियंट की संक्रामकता बहुत ज्यादा है, इससे फेफड़ों की कोशिकाओं के लिए ख़तरा बढ़ जाता है, जिससे ज्यादा गंभीर बीमारी जन्म ले सकती है। तीसरा कारण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के लिए संभावित रूप से कम प्रतिक्रिया होना है, यह वैक्सीन के रिस्पॉन्स के साथ-साथ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल जैसी दवाओं के पिछले संक्रमणों में भी बाधा डाल सकता है। इसलिए जो पहले ही वायरस से संक्रमित हो चुके या वैक्सीन लगवा चुके हैं वे व्यक्ति भी इस वैरिएंट की चपेट में दोबारा आ सकते हैं, साथ ही यह सच है कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल इस डेल्टा प्लस वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी हो सकता है। इसलिए इन सभी कारणों से यह वैरिएंट ख़तरनाक हो जाता है। अगर इससे तीसरी लहर आती है, तो यह नया डेल्टा प्लस वैरिएंट ज्यादा फ़ैल सकता और साथ ही ज्यादा गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।"
डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव के लिए कैसे तैयारी होनी चाहिए?
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, पालम विहार, गुरुग्राम के क्रिटिकल केयर और पल्मोनरी-सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पीयूष गोयल ने कहा, "डेल्टा प्लस वैरियंट की गंभीरता को देखते हुए 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 'डेल्टा' और इसकी अन्य ब्रांचों जैसे- AY.1 और AY.2- को वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न (VoC) घोषित किया। कोरोना वायरस की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए तत्काल रोकथाम उपायों में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करना महत्वपूर्ण हो जाता है। जिलों और अन्य प्रभावित कम्युनिटी में इस वैरिएंट का टेस्ट हो, इसके साथ-साथ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाए और इसकी ट्रैकिंग की फैसिलिटी हर जगह प्रदान की जानी चाहिए। पॉजिटिव व्यक्तियों के "पर्याप्त सैम्पल्स" को भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (INSACOG) की डिजाइनेटेड लेबोरेटरी में क्लीनिकल महामारी विज्ञान संबंधी कोरिलेशन (सहसंबंधों) को समझने के लिए तेज़ी से भेजा जाए।
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट और पारस चेस्ट इंस्टीट्यूट के एचओडी डॉ. अरुणेश कुमार ने कहा, " प्लस वैरियंट का यूके और अमेरिका के कुछ हिस्सों में कोविड महामारी की नई लहर पैदा करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह अपनी बहुत ज्यादा संक्रामकता के कारण चिंता का कारण बना हुआ है और इस वैरियंट से गंभीर समस्या हो सकती है। ऐसी चिंताएं हैं कि यह वैक्सीन की प्रतिरक्षा को नेस्तनाबूत कर सकता है जिसे इम्यून एस्केप (प्रतिरक्षा पलायन) कहा जाता है। भारत जैसे बहुत ज्यादा जनसंख्या वाले देश में वायरस का प्रभाव होने का खतरा हमेशा ज्यादा बना रहता है। यह स्ट्रेन अगर कभी आता है तो तीसरी लहर पैदा होने की प्रबल संभावना है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग कोविड के दिशा-निर्देशों का पालन उचित तरीकें से करें।"