Health Tip: 30 साल के हो जाने पर ज़रूर कराएं ये 6 मेडिकल टेस्ट!
Health Tip जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे शरीर के कई हिस्से भी धीमे पड़ जाते हैं। साथ ही कई बीमारियों भी लग जाती हैं। इसलिए आपकी लाइफस्टाइल चाहे कितने भी व्यस्त हो सभी का नियमित रूप से चेकअप और स्क्रीनिंग कराना बेहद ज़रूरी हो जाता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Health Tip: 'इलाज से बेहतर है बचाव' ये बात न जाने आपने कितनी बार सुनी या पढ़ी होगी, लेकिन कभी इस पर अमल करने की सोची है? नहीं न। जब बात आती है हमारी सेहत की, तो हर छोटा पड़ाव भी बेहद कीमती साबित हो सकता है। नियमित तौर पर चेकअप कराने से बीमारी का समय पर पता लगाया जा सकता है और समय पर इलाज हो सकता है। इसलिए हमें साल में एक बार चेकअप ज़रूर करवाना चाहिए। खासतौर पर जब हमारी उम्र 30 के ऊपर हो जाती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे ही हमारे शरीर के कई हिस्से भी धीमे होने लगते हैं और साथ ही कई बीमारियों की चपेट में भी आ जाते हैं। इसलिए आपकी लाइफस्टाइल चाहे कितने भी व्यस्त हो, सभी का नियमित रूप से चेकअप और स्क्रीनिंग कराना बेहद ज़रूरी हो जाता है।
अगर आप ये सोच रहे हैं कि हम अक्सर बॉडी टेस्ट कराते हैं, तो आपको बता दें कि डायबिटीज़, बीपी और कॉलेस्ट्रॉल के टेस्ट काफी नहीं हैं। अगर आप 30 साल के हो चुके हैं तो आपके लिए ये 6 टेस्ट कराना बेहद ज़रूरी है।
ईसीजी टेस्ट
दिल से जुड़ी बीमारी किसी का इंतज़ार नहीं करती और किसी भी वक्त किसी को भी अपा शिकार बना लेती हैं। इसलिए ईसीजी यानी इलेक्ट्रो कारडियोग्राम टेस्ट का उपयोग उन लोगों में दिल के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, जिनके हृदय रोग के लक्षण सामने नहीं आते, लेकिन भविष्य में उन्हें दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा हो सकता है। टेस्ट के परिणाम से आपको दिल की बीमारी के जोखिम को समझने में मदद करेगा और कम उम्र से ही अपने दिल की सुरक्षा के लिए जीवनशैली में कुछ उपाय कर सकते हैं।
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट
एक लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कोलेस्ट्रोल की छोटी से छोटी डीटेल के साथ आपके दिल के स्वास्थ्य की जानकारी देता है। 30 की उम्र के बाद हर दो साल में ये टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए। खासतौर पर जब आपके परिवार में दिल की बीमारी, मोटापा या डायबिटीज़ जैसी बीमारियां आम हों।
पैप स्मियर टेस्ट
महिलाओं को 30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है और साथ ही एचपीवी टेस्ट भी नियमित रूप से करवाना चाहिए। ये टेस्ट सरवेक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा में ज़रा से भी परिवर्तन के बारे में सचेत कर, सर्वाइकल कैंसर और कई जानलेवा इंफेक्शन्स के लक्षणों को पकड़ सकता है।
लिवर का टेस्ट
लिवर केमिस्ट्री टेस्ट, जो शारीरिक एंज़ाइम, प्रोटीन, ट्राइग्लिसराइड की चार्टिंग को माप कर यह बताता है कि आपका लिवर कितना स्वस्थ है। साथ ही हेपेटाइटिस जैसे कई तरह के इंफेक्शन्स का भी पता चलता है। 30 के होने के बाद ये टेस्ट साल में एक बार ज़रूर कराएं।
कोलोनस्कोपी टेस्ट
वहीं, पुरुषों के लिए 45-50 साल की उम्र के बाद कोलोनस्कोपी टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। खासकर डॉक्टरों का मानना है कि 30 साल की उम्र के बाद से ही पुरुषों को ये टेस्ट कराना शुरू कर देना चाहिए। खासकर अगर आपके परिवार में कोलोन कैंसर का इतिहास रहा है। टेस्ट से कोलोन कैंसर के शुरुआती संकेत भी मिल सकते हैं, जो अक्सर नज़र नहीं आते हैं।
जेनेटिक टेस्ट
किसी भी बीमारी के शुरुआती संकेतों और लक्षणों के लिए जेनेटिक टेस्ट बेहद ज़रूरी है। इस टेस्ट से म्यूटेशन में किसी तरह के बदलाव और भविष्य में होने वाली बीमारियों के खतरे का भी पता चल सकता है। यह, कुछ मामलों में आपको जोखिम से बेहतर तरीके से लड़ने के लिए जानकारी भी देता है। अगर आप एक बच्चे की योजना बना रहे हैं, तो जेनेटिक टेस्ट आपके बच्चे के स्वास्थ्य के साथ-साथ उसकी सुरक्षा के लिए एक अच्छा उपाय हो सकता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।