फ्लैक्स सीड पाउडर हो सकता है सेहत के लिए नुकसानदेह इसलिए सीमित मात्रा में करें इसका सेवन

अलसी में साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड नामक तत्व पाया जाता है जिसके टूटने पर साइनाइड गैस बनती है। अगर अलसी के बीजों का सेवन पाउडर के रूप में किया जाए तो इससे साइनाइड गैस बनने का खतरा और बढ़ जाता है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 02 Feb 2021 07:51 AM (IST) Updated:Tue, 02 Feb 2021 07:51 AM (IST)
फ्लैक्स सीड पाउडर हो सकता है सेहत के लिए नुकसानदेह इसलिए सीमित मात्रा में करें इसका सेवन
हेल्दी ऑर्गेनिक सुपरफूड फ्लैक्स सीड्स बाउल में रखा हुआ

अलसी यानी फ्लैक्स सीड को सुपरफूड माना जाता है। इसीलिए आजकल लोगों को सुबह नाश्ते में, दोपहर लंच और रात के डिनर में अलसी के बीज के बीज या पाउडर खाने की सलाह दी जाती है। यह डायबिटीज़, अस्थमा, कैंसर और आर्थराइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम में मददगार होती है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को घटाकर बढ़ते वजन को भी नियंत्रित करती है, पर यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार ज्यादा मात्रा में अलसी का सेवन सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए आपको इसका सेवन सोच-समझकर करना चाहिए। अलसी फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती है, लेकिन इसके बीजों में एक ऐसा पदार्थ होता है, जो साइनाइड गैस बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ज्यादा मात्रा में अलसी के सेवन से साइनाइड प्वॉइज़निंग की समस्या हो सकती है क्योंकि इसमें साइनोजेनिक ग्लाइकोसाइड नामक तत्व पाया जाता है, जिसके टूटने पर साइनाइड गैस बनती है। अगर अलसी के बीजों का सेवन पाउडर के रूप में किया जाए तो इससे साइनाइड गैस बनने का खतरा और बढ़ जाता है। 

अलसी के पाउडर का सेवन करने से सिरदर्द, झुंझुलाहट, सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसी वजह से स्वीडन की सरकार ने एक अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि लोग पिसी हुई अलसी बिल्कुल न खाएं। इसके अलावा, प्रतिदिन 25 ग्राम से अधिक मात्रा में अलसी का सेवन सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

डॉक्टर की राय

यह रिसर्च बिल्कुल सही है। अलसी के सेवन का सही तरीका यह है कि प्रतिदिन एक टीस्पून अलसी के बीज को कूटकर पानी के साथ उसी वक्त खा लें। ग्राइंडर में ज्यादा अलसी पीसकर उसे स्टोर करके न रखें, यह सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। 

(डॉ. नेहा पठानिया, न्यूट्रिशनिस्ट, पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)  

Pic credit- freepik

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