ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चों में देखने को मिल रही हैं ये समस्याएं, जानें कैसे कर सकते हैं इसे दूर
ऑनलाइन क्लॉसेज करने की वजह से बच्चों को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। तो यहां पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है उनकी समस्या को देखते हुए उसका कारगर समाधान निकालना। आज इसी के बारे में जानेंगे।
कोरोना की वजह से अन्य दूसरे क्षेत्रों के साथ बच्चों की पढ़ाई पर भी बहुत असर पड़ा है। सिर्फ पढ़ाई ही क्यों, खेलकूद न हो पाने की वजह से मानसिक सेहत भी प्रभावित हुई है। जो उनके विकास के लिए सही नहीं। तो किस तरह की समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ रहा है और क्या है उसका समाधान। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कमर, पीठ में दर्द
ऑनलाइन क्लॉसेज में बच्चों को लंबे वक्त तक बैठे रहना पड़ता है। वैसे तो स्कूल में भी पढ़ने का यही सिस्टम होता था लेकिन वहां बच्चों के हिसाब से टेबल, चेयर होती हैं जिसमें वो कंफर्टेबली बैठ सकते हैं लेकिन घर में कभी सोफे, कभी डाइनिंग टेबल की चेयर पर बैठकर क्लॉसेज अटेंड करनी पड़ती हैं जिससे कमर, पीठ और पैर में दर्द की शिकायतें बच्चे कर रहे हैं।
समाधान- पीठ और कमर दर्द की प्रॉब्लम हो तो बच्चों को हल्की-फुल्की एक्सरसाइज कराएं। ऐसा सीटिंग अरेंजमेंट करें जिससे क्लास के दौरान वो सीधे होकर बैठ सकें और पैर भी कंफर्टेबल तरीके से रख सकें।
आंखों में दर्द
लगातार लैपटॉप और मोबाइल यूज करने से बच्चों में आंखों से जुड़ी प्रॉब्लम भी देखने को मिल रही है।
समाधान- अगर बच्चों की आंखों में दर्द हो या पानी निकले, तो यह काफी अलार्मिंग है। वैसे बच्चों में ऐसी समस्या धीरे-धीरे आती है। अगर बच्चा किसी भी चीज को देखते हुए अपनी आंखें भींच रहा है या मल रहा है, तो ये एक साइन है, जिसमें आपको समझना होगा कि बच्चे की आंख में समस्या आ रही है।
खानपान का समय नहीं मिलता
ऑनलाइन क्लॉसेज लगातार होती हैं जिससे बच्चों को ब्रेक नहीं मिल पा रहा। इससे उनके खानपान पर असर पड़ रहा है। जो उनके शारीरिक विकास के लिए सही नहीं।
समाधान- इसका हल यही हो सकता है कि क्लॉसेज शुरू होने से पहले बच्चे को ब्रेकफास्ट करा दें और बीच-बीच में उन्हें जूस, ड्राई फ्रूट्स जैसी चीज़ें खाने को दे सकते हैं जिसे खाने में वक्त भी नहीं लगता और ये हर तरीके से हेल्दी भी है।
मानसिक परेशानी
ऑनलाइन क्लॉसेज में बच्चे को कुछ न समझ आए तो वो आसानी से पूछ नहीं पाते। कुछ बच्चे की ये भी शिकायत है कि उन्हें अच्छी तरह से समझ भी नहीं आता। जिससे वो प्रेशर में आ जाते हैं और इसका उनके दिमाग पर असर होता है।
समाधान- क्लॉसेज के बाद ऐसी सुविधा होनी चाहिए कि बच्चों को कुछ न समझ आए तो वे टीचर से पूछ सकें।
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