प्रेग्नेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में होते हैं शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव, तो न करें सावधानियों की अनदेखी

प्रेग्नेंसी के आखिरी तीन महीने में जरा सी लापरवाही खतरनाक हो सकती है। इसलिए खानपान से लेकर जरूरी सावधानियों और रूटीन चेकअप को बिल्कुल भी न करें इग्नोर।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 08:06 AM (IST)
प्रेग्नेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में होते हैं शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव, तो न करें सावधानियों की अनदेखी
प्रेग्नेंसी के थर्ड ट्राइमेस्टर में होते हैं शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव, तो न करें सावधानियों की अनदेखी

प्रेग्नेंसी के तीसरे ट्राइमेस्टर में एब्डॉमिन स्ट्रेच मा‌र्क्स पड़ने शुरू हो जाते हैं। इसलिए त्वचा पर मॉयस्चराइजर लगाएं। अब बच्चे को कैलरी की जरूरत बढ़ जाती है इसलिए हर तीन घंटे पर खाना जरूरी होता है। इस ट्राइमेस्टर में हर महीने 1-2 किलो वजन बढ़ना जरूरी होता है।

होने वाले बदलाव

1- गर्भावस्था के तीसरे ट्राइमेस्टर में भ्रूण लगभग विकसित हो चुका होता है। इसलिए इस समय अधिक आराम करना चाहिए। आराम करने से तनाव दूर होता है और निराशा व चिंता नहीं होती। सकारात्मक सोच रखें।

2- इस दौरान प्रतिदिन 300-450 अतिरिक्त कैलरी की जरूरत होती है। इसलिए डेयरी उत्पाद, नट्स, साबुत अनाज और दलिया वगैरह अधिक लें।

3- भ्रूण का विकास तेजी से होता है, इसलिए पोषक तत्व बहुत जरूरी हैं। फलों का जूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे, मछली आदि का सेवन जरूरी है।

सावधानियां

1- तीसरे ट्राइमेस्टर में बच्चे के मूवमेंट का ध्यान रखना जरूरी है। किसी भी प्रकार की असुविधा पर डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न बरतें। अगर आप नोटिस करती हैं कि बच्चे की फीटल किक कम हुई है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चा कम मूवमेंट कर रहा है तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है।

2- किसी भी प्रकार के असामान्य संकेत या लक्षण पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर वजाइना से अधिक डिस्चार्ज, गंध, बुखार, ठंड लगना यूरिन करते समय दर्द, सिर दर्द आदि समस्या हो तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

3- बच्चे के आगमन की तैयारी के लिए खुद को तैयार करें। बच्चे के लिए क्या सही है और क्या गलत है, इस बारे में जानकारी हासिल करें।

4- ब्रेस्ट फीडिंग, शिशु की देखभाल, बेबी ब्ल्यूज (पोस्टनेटल डिप्रेशन) से कैसे उबरें आदि जानकारियां हासिल करें।

रुटीन चेकअप्स

-एब्डॉमिन का आकार चेक किया जाता है।

-बेबी की पोजीशन।

-हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स।

-एचपी शुगर व यूरिन टेस्ट।

-37वें सप्ताह में कलर्ड डॉप्लर अल्ट्रासाउंड किया जाता है ताकि पता चल सके कि बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन कितनी जा रही है।

Pic credit- https://www.freepik.com/free-photo/happy-pregnant-woman-drinking-natural-water-after-working-out_1280774.htm#page=3&query=pregnancy+care&position=16 

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