शरीर के कई अंगों के साथ दांतों को भी डैमेज कर सकती है डायबिटीज़, जरूरी चेकअप और केयर से ही बनेगी बात

स्वस्थ और मज़बूत दांत अच्छी सेहत की पहचान हैं इसलिए सभी को इनका ध्यान रखना चाहिए। खासतौर पर अगर किसी को डायबिटीज़ हो तो उन्हें डेंटल केयर के प्रति सचेत रहना चाहिए ऐसा क्यों ज़रूरी है जानने के लिए पढ़ें यह लेख।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:36 AM (IST)
शरीर के कई अंगों के साथ दांतों को भी डैमेज कर सकती है डायबिटीज़, जरूरी चेकअप और केयर से ही बनेगी बात
दांत में दर्द से बेहद परेशान युवती

डायबिटीज़ जीवनशैली से जुड़ी ऐसी गंभीर समस्या है, जो लोगों को तेज़ी से अपनी गिरफ्त में ले रही है। इसकी वजह से व्यक्ति के दांतों में भी दर्द हो सकता है। इसीलिए अगर आपके दांतों में दर्द हो तो डेंटल चेकअप कराने के साथ ही एक बार अपना शुगर लेवल भी चेक करवा लेना चाहिए।

क्या है वजह

दरअसल डायबिटीज़ से दांत और मसूड़े भी प्रभावित होते हैं। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इसके 35 प्रतिशत मरीज़ों को डेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मसूड़े और उसके आसपास की हड्डियां ही दांतों की मज़बूती का आधार हैं, लेकिन जब शुगर लेवल ज्य़ादा हो तो उनमें इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। डायबिटीज़ की वजह से मसूड़ों में रक्त संचार कम हो जाता है। हाई ब्लड शुगर की वजह से मुंह में सलाइवा बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। दांतों की मज़बूती और स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए मुंह में लार का बनना बेहद ज़रूरी है। यह कीटाणुओं से लडऩे और सांसों की बदबू दूर करने में मददगार होती हैै। सलाइवा में मौज़ूद प्रोटीन और मिनरल्स दांतों की बाहरी परत के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं। इन्हीं तत्वों की वजह से हमारे दांत संक्रमण और बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। इनकी कमी से दांतों में बैक्टीरिया और प्लाक की समस्या बढ़ जाती है।

शुगर लेवल बढऩे पर न केवल दांत और मसूड़े कमज़ोर पड़ते हैं बल्कि इससे कुछ और समस्याएं हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:

प्राइमरी जिंजिवाइटिस:  यह एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन है। डायबिटीज़ की वजह से शरीर के इम्यून सिस्टम में बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। अगर मुंह में प्लाक जमा हो तो मसूड़ों के पास भी टार्टर जमा हो सकता है, जिससे जलन, खुजली, सूजन जैसी समस्याओं के अलावा मसूड़ों से खून का भी रिसाव हो सकता है। 

पेरियोडोंटाइटिस: अगर शुरुआत से ही ध्यान न  दिया जाए तो जिंजिवाइटिस की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। ऐसी स्थिति को ही पेरियोडोंटाइटिस कहा जाता है। यह इंफेक्शन मसूड़ों की अंदरूनी सतह और जॉ बोन को दांतों से दूर कर देता है। जिससे दांत गिरने की आशंका बढ़ जाती है।

इन बातों का रखें ध्यान

- प्रतिदिन दो बार सही ढंग से ब्रश करें। कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करना न भूलें।

- अगर सांसों में बदबू की समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह पर एंटीसेप्टिक माउथवॉश का भी इस्तेमाल करना चाहिए। 

- अगर दांतों में दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह लिए बिना अपने आप कोई भी दर्द निवारक दवा न लें। 

- उपचार से बेहतर है बचाव, इसलिए अगर आपको डायबीटिज़ की समस्या हो तो शुगर लेवल को कंट्रोल में रखते हुए दांतों की सही देखभाल करना ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है।

(डॉ. वंदना सहगल, एसोसिएट कंसल्टेंट एंडन्‍ डेन्टल सर्जन मेदांता हॉस्पिटल गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)

Pic credit- freepik

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