Coronavirus Vaccine:ऑक्सफॉर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर आज आ सकती है खुशखबरी!
Coronavirus Vaccine एक सकारात्मक ख़बर में बताया गया कि गुरुवार यानी आज ऑक्सफॉर्ड/एस्ट्राज़ेनेका की कोविड-19 वैक्सीन के शुरुआति ट्रायल के बारे में अच्छी ख़बर आ सकती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Vaccine: पिछले साल चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस का कहर अब भी दुनियाभर में जारी है। तभी से दुनिया के कई देशों के वैज्ञानिक साथ मिलकर इस वायरस से लड़ने के लिए एक सुरक्षित वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं।
कोविड-19 को रोकने के लिए इस वक्त एक सुरक्षित वैक्सीन की सख़्त ज़रूरत है। जिससे न सिर्फ इस ख़तरनाक बीमारी का जोखिम ख़त्म हो, बल्कि इससे हो रही मौतें भी रोकी जा सकें। बुधवार को इस मामले में एक सकारात्मक ख़बर सामने आई थी, जिसमें बताया गया कि गुरुवार यानी आज ऑक्सफॉर्ड/एस्ट्राज़ेनेका की कोविड-19 वैक्सीन के शुरुआति ट्रायल के बारे में अच्छी ख़बर आ सकती है।
ये ख़बर तब आई जब अमेरिकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना (Moderna) ने घोषणा की कि वह 27 जुलाई को अपने प्रायोगिक कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम तीसरे चरण का परीक्षण शुरू करने की योजना बना रही है। पहले चरण के ट्रायल में पाया गया कि SARS-CoV-2 के खिलाफ मॉडर्ना की mRNA-1273 वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित होने के साथ वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को तेज़ करने के साथ मज़बूत भी बनाती है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑक्सफोर्ड जेनर इंस्टीट्यूट में विकसित होने वाली संभावित COVID-19 वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 को AstraZeneca का लाइसेंस दिया गया है। ये टीका SARS-CoV-2 संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा कर सकती है या नहीं, इसके लिए ये पहले से ही बड़े पैमाने पर मानव परीक्षण के तीसरे चरण पर पहुंच चुकी है।
ऑक्सफोर्ड की ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन
ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन आम ज़ुकाम वायरस जिसे ChAdOx1 कहा जाता है, के कमज़ोर और गैर-प्रतिकृति संस्करण से बनाई गई है। जानकारी के मुताबिक, प्रयोगात्मक COVID-19 वैक्सीन को SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन को व्यक्त करने के लिए बनाया गया है। इस वैक्सीन को जेनेटिक सामग्री जिसे स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन कहा जाता है, मिलाकर बनाया गया है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन मानव शरीर को वायरस को पहचानने और स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन के लिए एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करेगी, जिससे SARS-CoV-2 वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
साल 2019 के दिसंबर में शुरु हुए कोरोना वायरस ने अभी तक दुनियाभर में करीब 6 लाख लोगों की जान ले ली है, वहीं एक करोड़ 35 लाख से ज़्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है।