Coronavirus vaccine: कोवैक्सीन या कोविशील्ड, कौन-सी वैक्सीन है ज़्यादा असरदार?

Coronavirus Vaccine भारत में सभी लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की खुराकें लगाई जा रही हैं। हालांकि इससे जुड़े साइड-इफेक्ट्स और मिथक भी हैं जिसकी वजह से लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर झिझक देखी जा रही है।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 03:00 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 03:00 PM (IST)
Coronavirus vaccine: कोवैक्सीन या कोविशील्ड, कौन-सी वैक्सीन है ज़्यादा असरदार?
कोवैक्सीन या कोविशील्ड, कौन-सी वैक्सीन है ज़्यादा असरदार?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Vaccine: मार्च से कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव का दूसरा चरण शुरू हो चुका है। हेल्थकेयर वर्कर्ज़ के बाद अब देश के वरिष्ठ नागरिकों और वे लोग जिनकी उम्र 45 या उससे ज़्यादा है और गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, को वैक्सीन लग रही है। भारत में सभी लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की खुराकें लगाई जा रही हैं। हालांकि, इससे जुड़े साइड-इफेक्ट्स और मिथक हैं, जिसकी वजह से लोग वैक्सीन लेने से झिझक रहे हैं।    

इस वक्त वैक्सीन लगवाना बेहद ज़रूरी है

दोनों वैक्सीन्स को उपयोग के लिए सुरक्षित माना गया है, हालांकि कुछ मामलों में रिएक्शन रिपोर्ट किए गए हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम कुछ निश्चित साइड-इफेक्ट्स को लेकर जागरूक रहें। 

कोवैक्सीन और कोविशील्ड में क्या है अंतर?

कोवैक्सीन और कोविशील्ड, दोनों को एक ही तरह से तैयार किया गया है। दोनों में सिर्फ एक ही अंतर है, वो ये कि कोविशील्ड ने टेस्टिंग के तीनों स्तर को पास किया है, वहीं कोवैक्सीन जिसे भारत बायोटेक ने तैयार किया है, अभी भी शोध के आखिरी चरण पर है। 

कोवैक्सिन और कोविशिल्ड (ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका) दोनों घरेलू और पारंपरिक वैक्सीन्स हैं, जो लंबे समय से निर्भर रहे तंत्र का उपयोग करके विकसित की गई हैं। इसलिए, इन्हें अन्य आधुनिक टीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित कहा जा सकता है, यहां तक कि साइड-इफेक्ट्स भी सामान्य जोखिम की तुलना में कम हैं। क्लीनिकल रिसर्च में भी यह साबित हो चुका है कि इस वक्त भारतीय टीकों की प्रभावकारिता दर अच्छी है।

दोनों वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी के काउंट को बढ़ाने का काम करती हैं, जो भविष्य वायरस के हमले का संदेह होने पर सुरक्षात्मक बचाव करने के लिए शरीर को सचेत करेंगी।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी के प्रेसीडेंट, डॉ. ए.एम देशमुख का कहना है, "भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ दो वैक्सीन तैयार की गई हैं- कोवैक्सीन और कोविशील्ड। भारत ने यही दो वैक्सीन दुनिया के 50 से ज़्यादा देशों को भी दी हैं। जिसका मतलब ये हुआ कि इन दोनों वैक्सीन्स ने आवश्यक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए कुछ सुरक्षा और प्रभावकारिता मापदंडों को पूरा किया है।"

पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट, डॉ. गजेंद्र सिंह का कहना है, " भारत ने बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सिर्फ दो वैक्सीन्स कोविशील्ड और कोवैक्सीन को ही अनुमति दी। इनमें से कोवैक्सीन अब भी क्लिनिकल ट्रायल से गुज़र रही है, लेकिन फिर भी इसे मंज़ूरी दी गई। वहीं, फ्रांस ने ऑक्सफर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, के कुछ साइड-इफेक्ट्स रिपोर्ट किए हैं, जिनकी वजह से इसका इस्तेमाल सुरक्षित नहीं माना जा सकता, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए।

इंडियन एकेडमी ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड इंडियन एलायंस ऑफ पेशेंट ग्रुप के चेयरपर्सन, यूनिसेफ के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार व आईआईएचएमआर के पूर्व निदेशक डॉ. संजीव कुमार ने कहा, "भारत सरकार को 30 करोड़ आबादी के लिए अधिक टीकों की मंज़ूरी पर विचार करने की ज़रूरत है। जेनोवा फार्मास्युटिकल, ज़ाइडस कैडिला और स्पुतनिक-V जल्द ही अनुमोदन प्राप्त करने की संभावना वाली वैक्सीन में शुमार हैं। अध्ययन के अनुसार स्पुतनिक-V की प्रभावकारिता 91.6% है।" 

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