Coronavirus Vaccine 2nd Phase: क्या आपकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है? तो वैक्सीन लगवाने से पहले जान ले ये बातें

वैक्सीन का तीसरा चरण भारत को कोविड-मुक्त देश बनने के लक्ष्य के करीब ले आएगा लेकिन साथ ही जो लोग पुरानी बीमारी या दिल से जुड़े रोगों से पीड़ित हैं उनमें लंबे समय में टीकों के संभावित दुष्प्रभाव को लेकर चिंता भी देखी जा रही है।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 11:35 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 11:35 AM (IST)
Coronavirus Vaccine 2nd Phase: क्या आपकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है? तो वैक्सीन लगवाने से पहले जान ले ये बातें
क्या आपकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है? तो वैक्सीन लगवाने से पहले जान ले ये बातें

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Vaccine 2nd Phase: एक करोड़ से ज़्यादा फ्रंट लाइन वर्कर्ज़ और स्वास्थ्य कर्मियों को सफलतापूर्वक कोरोना वायरस वैक्सीन लगाने के बाद अब भारत वैक्सीन ड्राइव के दूसरे चरण में अगले महीने से अपनी प्राथमिकता जनसंख्या यानी 60 वर्ष से अधिक आयु के उम्रदराज़ लोगों को टीका लगाने के लिए कमर कस रहा है। इसके लिए, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले ही अप्रैल में कोविल्ड वैक्सीन के 100 मिलियन खुराक के निर्माण का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो मौजूदा 50 मिलियन खुराक से दोगुना है।

वैक्सीन का तीसरा चरण भारत को कोविड-मुक्त देश बनने के लक्ष्य के करीब ले आएगा, लेकिन साथ ही जो लोग पुरानी बीमारी या दिल से जुड़े रोगों से पीड़ित हैं, उनमें लंबे समय में टीकों के संभावित दुष्प्रभाव को लेकर चिंता भी देखी जा रही है। इसी को देखते हुए मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन को न लेना इससे ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो सकती है, इसलिए साइड-इफेक्ट्स की चिंता न करें और वैक्सीन लगवाएं।

 

वैक्सीन न लेना हो सकता है ख़तरनाक

कोविड वैक्सीन बेहद सुरक्षित है। जब वैक्सीन लगवाने की आम जनता की बारी आएगी, तो उन्हें इसे बिना किसी झिझक के इसे लगवा लेना चाहिए। भारत के राष्ट्रीय से लेकर ज़िला स्तर के टॉप डॉक्टरों ने यह आश्वासन दिया है कि कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक से शून्य से न्यूनतम साइड-इफेक्ट्स देखे जाएंगे, लेकिन ये बिल्कुल सुरक्षित है। वास्तव में, वैक्सीन लेना ख़तरनाक नहीं है, जबकि वैक्सीन न लगवाना जानलेवा हो सकता है, क्योंकि यह कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करेगी।

दिल के मरीज़ों में क्यों है वैक्सीन को लेकर झिझक

जब देश महामारी की चपेट में आया था, तो उस वक्त दिल के मरीज़ों को सबसे कमज़ोर समूह में सबसे ऊपर रखा गया था। जब कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हुई है, तो दिल के मरीज़ों में इसके प्रति झिझक पैदा हो गई है, जो ग़लत नहीं है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोग वैक्सीन को लेकर अनिश्चित हैं, क्योंकि वे टीके के लाभों से अनजान हैं। 

यह साबित हो चुका है कि वैक्सीन की पहली ख़ुराक 14 दिनों के बाद प्रतिरक्षा प्रदान करती है। जबकि दूसरी खुराक लेने के एक या डेढ़ महीने बाद, शरीर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा विकसित करता है।

दिल के मरीज़ों को वैक्सीन लेनी चाहिए?

जो मरीज़ बायपास या एंजियोप्लास्टी सर्जरी से गुज़रे हैं, मेडिकल एक्सपर्ट्स की सलाह है कि वे ज़्यादा सावधान रहें, क्योंकि ऐसे मरीज़ों को हमेशा दिल के दौरे का ख़तरा रहता है और जो लोग दिल के रोग से गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। वहीं, जिन लोगों की बायपास या एंजियोप्लास्टी सर्जरी नहीं हुई है और उनका ब्लड प्रेशर, शुगर का स्तर संतुलित है, तो वे कार्डियोलॉजिस्ट या फिर फिज़िशियन की देखरेख में बिना किसी हिचकिचाहट के वैक्सीन लगवा सकते हैं। 

इसके अलावा जो लोग किडनी यानी गुर्दे की बीमारी और जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित हैं, उन्हें भी वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर मंज़ूरी ले लेनी चाहिए। 

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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