COVID-19 Long Term Effects: कोरोना के मरीजों में वजन कम होने के साथ ही कुपोषण का खतरा भी अधिक, जानिए रिसर्च
COVID-19 Long Term Effectsस्वाद और गंध में बदलाव के कारण मरीजों में थकान बहुत ज्यादा होने लगी और उनकी भूख में कमी आई। ऐसे मरीज़ों की फिजिकल एक्टिविटी भी पूरी तरह प्रभावित हुई जिससे वजन में कमी आना स्वभाविक है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। कोरोना निगेटिव होने के बाद भी यह वायरस आपका पीछा नहीं छोड़ता इसका असर आपकी बॉडी पर लम्बे समय तक दिखता है। इस वायरस को मात देने के बाद भी लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेरॉइड लेने की वजह से कुछ लोगों की शुगर बढ़ रही है, तो कुछ लोगों का स्वाद और सूंघने की क्षमता कम हो गई है। कोई मांसपेशियों में दर्द और थकान से परेशान है, इस तरह कई समस्याएं लोगों को अपनी गिरफ्त में ली हुई है। अब एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोरोना से रिकवर होने के बाद मरीजों का वजन कम होने लगा है। कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों में यह समस्या ज्यादा आ रही है।
कुछ अध्ययनों में यह बात प्रमाणित हुई है कि जिन कोरोना मरीजों को गंभीर स्थिति हो जाने के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था उनका स्वाद चला गया था या सांस से संबंधित गंभीर समस्याएं हो गई थी इतना ही नहीं उन मरीजों में वजन कम होने के मामले भी सामने आ रहे थे। कोरोना से रिकवर हुए ऐसे मरीजों में कुपोषण की परेशानी भी हो रही है।
ब्लैक फंगस के शिकार लोगों में ज्यादा समस्या:
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंर्फोरमेशन के अध्ययन के मुताबिक कोरोना में गंभीर रूप से बीमार पड़े लोगों में वजन कम और कुपोषण का जोखिम बहुत ज्यादा रहता है। अध्ययन के मुताबिक करीब 30 प्रतिशत मरीजों में बॉडी का वेट 5 प्रतिशत तक कम हुआ है। कोरोना के कारण गंभीर रूप से पीड़ित करीब आधे मरीजों पर कुपोषण का खतरा मंडरा रहा है। अध्ययन के मुताबिक अधिकांश कोविड मरीजों में स्वाद और गंध चले जाने के कारण वजन कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह समस्या उन मरीजों में ज्यादा गंभीर है जो म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के शिकार हुए थे। ऐसे मरीजों में बीमारी के कारण हाई डोज एंटी फंगल दवाई दी गई, जिसके कारण मरीज में बेचैनी बढ़ गई और भूख लगने में दिक्कत हुई।
स्वाद और गंध में बदलाव के कारण मरीज़ों की भूख में आई कमी:
अध्ययन में पाया गया कि स्वाद और गंध में बदलाव के कारण मरीजों में थकान बहुत ज्यादा होने लगी और उनकी भूख में कमी आई। ऐसे मरीज़ों की फिजिकल एक्टिविटी भी पूरी तरह प्रभावित हुई जिससे वजन में कमी आना स्वभाविक है। इसके साथ ही शरीर के अंदर सूजन की समस्या ने कुपोषण के जोखिम को भी बढ़ा दिया। यहां तक कि जिन कोरोना मरीजों को अस्पताल नहीं जाना पड़ा, उनमें से भी कुछ मरीजों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखी गई।