कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका
देशों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग की जा रही है आइसोलेशन आदि की प्रक्रियाएं चल रही हैं ताकि इस बीमारी को मात दी जा सकें। ऐसे मुश्किल समय में सामु
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी बदौलत ही अब तक इस बीमारी से निपटा जा सकता है। ये बातें ORB मीडिया की नई रिसर्च रिपोर्ट में सामने आई है। ORB मीडिया की रिसर्च रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस महामारी और सबको समान इलाज मुहैया कराने में मदद कर सकते हैं। पूरी दुनिया अपने-अपने तरीके से कोरोना संकट से निपटने में लगी है।
देशों में लॉकडाउन लगाया जा रहा है, बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग की जा रही है, आइसोलेशन आदि की प्रक्रियाएं चल रही हैं ताकि इस बीमारी को मात दी जा सकें। ऐसे मुश्किल समय में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पूरे समर्पण के साथ अपनी भूमिका निभा रहे हैं। ORB मीडिया की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम करने के तरीके, घनी आबादी तक उनकी पहुंच और स्थानीय समुदायों की बारीक समझ का इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना जैसी महामारी से निपटना अधिक आसान हो सकता है।
ओर्ब मीडिया की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि सामुदायिक स्वास्थ्य वर्कर की मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि थाइलैंड, अर्जेंटीना, हंगरी, मैक्सिको, बांग्लादेश, होंडुरास और चिली जैसे देशों ने बाल मृत्यु दर को कम कर लिया है। रिपोर्ट में इस बात की सिफारिश की गई है कि उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाए और अच्छा मुआवजा दिया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
सात देशों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में सामने आया कि बांग्लादेश, होंडुरस, मैक्सिको, अर्जेंटीना, थाईलैंड, चिली और हंगरी में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर क्रमश: 38.7, 17.4, 15.1, 12.1, 9.9, 8.1 और 5.3 है। जिसमें अपेक्षाकृत सुधार हुआ है। चयनित सात देशों में से दो उच्च आय, तीन उच्च मध्यम आय और दो निम्न मध्यम आय ग्रुप के देश है। अगर आबादी के लिहाज से देखें तो इन सात देशों में अधिकतम आबादी बांग्लादेश की 16.14 करोड़ है तो न्यूनतम आबादी होंडुरस की 95.9 लाख है। वहीं अर्जेंटीना, हंगरी, मैक्सिको, चिली की जनसंख्या क्रमश : 4.5 करोड़, 97.7 लाख, 12.62 करोड़, 1.87 करोड़ है।
सामुदायिक स्वास्थ्य वर्कर की बदौलत इन सात देशों ने कम की बाल मृत्यु दर
बाल मृत्यु दर (वह दर जिस पर बच्चे अपने 5 वें जन्मदिन से पहले मर जाते हैं) देश की सेहत की तस्वीर प्रस्तुत करती है, क्योंकि इसकी गणना समय के साथ अच्छी तरह हो जाती है और इसका स्वास्थ्य के कई सारे पहलुओं पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस रिपोर्ट के लिए ORB मीडिया ने 160 देशों की बाल मृत्यु दर के राष्ट्रीय आंकड़ों का अध्ययन किया। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं पर होने वाले खर्च और औपचारिक रूप से प्रमाणित स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या जैसे कारकों के आधार पर एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया, जिससे एक देश की वास्तविक बाल मृत्यु दर और उसकी अपेक्षित बाल मृत्यु दर से तुलना की जा सकें।
इन देशों में किया अध्ययन
इन आंकड़ों के विश्लेषण के बाद, उन्होंने सात देशों को चुना, जिनके परिणाम वाकई चौंकाने वाले थे। इन देशों में थाइलैंड, अर्जेंटीना, हंगरी, मैक्सिको, बांग्लादेश, होंडुरास और चिली शामिल हैं। इन देशों ने समय के साथ सफलतापूर्वक अपनी बाल मृत्यु दर को कम किया। बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य देने में इन देशों ने सीमित फंडिंग, ग्रामीण और शहरी समुदायों में विभन्नाताओं सहित कई चुनौतियों का सामना किया। इन देशों में से प्रत्येक ने कुछ विशेष चुनौतियों का भी सामाना किया। इनमें हंगरी में विषाणुजनित ज़ेनोफ़ोबिया, बांग्लादेश में स्वास्थ्य पेशेवरों का धार्मिक संशय, मैक्सिको में अपने ही देश के लोगों के बीच भाषाई मुद्दे जैसी चुनौतियां शामिल हैं।
इन देशों में बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए अपनाई यह रणनीति
इस अध्ययन में सातों देशों में से प्रत्येक ने अपने बाल मृत्यु दर संकट से निपटने के लिए कई रणनीतियों को एक साथ काम में लिया। इन सब में एक चीज समान थी, उन्होंने सामुदायिक स्तर पर विभिन्न स्तर के स्वास्थ्य मुद्दों से निपटने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तैनात किया। उदाहरण के तौर पर हंगरी में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बच्चों व उनकी माताओं के बीच कुपोषण को दूर करने में लगे हुए थे। चिली में वे माताओं को यह सिखा रहे थे, कि उनके नवजात शिशु की देखभाल कैसे की जाए। जबकि थाइलैंड में उन्होंने आपूर्ति का वितरण किया और जागरुकता अभियानों में लगे।
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्थानीय समुदायों के वे लोग हैं, जो महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार, गैर-लाभकारी संगठनों या एनजीओ के साथ काम करते हैं। इनके लक्ष्य, प्रशिक्षण और काम करने के तौर- तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। यह बहुमुखी प्रतिभा उनकी ताकत होती है, इससे वे कम समय में स्वास्थ्य क्षेत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं और एक घनी आबादी तक पहुंच सकते हैं। ORB मीडिया की रिसर्च इस ओर भी प्रकाश डालती है कि कैसे बेहतर ढंग से सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मौजूदा समय में कोरोना वायरस महामारी से प्रवाही ढंग से निपटने में लगाया जा सकता है।
आखिर सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता क्यों हैं महत्वपूर्ण
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता जहां सेवा देते हैं, उसी समुदाय से वे होते हैं। इस कारण उनके पास व्यक्ति की समस्या को समझने की अद्धितीय क्षमता होती है। इसके परिणामस्वरूप वे उन लोगों के विचारों को समझने और उन्हें समझाने में भी काफी सक्षम होते हैं। जबकि हो सकता है काफी विश्वसनीय बाहरी लोग इस काम में सक्षम नहीं रहें। ORB मीडिया की रिसर्च बताती है कि वे मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और व्यावहारिक सपोर्ट दोनों में निपुण होते हैं। वे माताओं और उनके बच्चों की देखभाल में भी निपुण होते हैं।
जरूरी है उचित मुआवजा और बेहतर प्रशिक्षण
हालांकि, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता दुनिया की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए रामबाण उपाय नहीं हैं, लेकिन ORB मीडिया द्वारा किया गया आंकड़ों का विश्लेषण और शोध समीक्षा यह संकेत देती है कि अगर उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाए, अच्छा मुआवजा दिया जाए और वे एक विशिष्ट कार्य हेतु लंबी अवधि के लिए प्रतिबद्ध हों, तो वे समग्र स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाने की विशाल क्षमता रखते हैं। अगर ये शर्तें पूरी होती हैं, तो वे कोरोना वायरस महामारी से निपटने जैसी स्थितियों में अमूल्य योगदान दे सकते हैं।
(यह डाटा और शोध पूरी तरह से ओर्ब मीडिया द्वारा किया गया है। जागरण न्यू मीडिया ने डाटा और शोध को ओर्ब मीडिया द्वारा दिए गए तथ्यों के आधार पर ही पेश किया है)