Breastfeeding Week: बच्चे के लिए क्यों जरूरी है ब्रेस्टफीडिंग और कैसे यह मां के लिए भी है फायदेमंद, जानें यहां
Breastfeeding week अगस्त महीने का पहला हफ्ता ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। आखिर क्यों जरूरी है ब्रेस्टफीडिंग और क्या यह मां के लिए भी फायदेमंद है। इन सारे सवालों के जवाबों को जानने के लिए पढ़ें यह पूरा लेख।
यूनिसेफ और डब्लूएचओ जैसी ऑर्गनाइजेशंस ने भी पहले आधे घंटे में ब्रेस्टफीडिंग को अहम माना है। कोलोस्ट्रम पहला गाढ़ा पीला दूध है, जो विटामिन, एंटीबॉडीज और न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है, को जन्म के बाद तुरंत ब्रेस्टफीडिंग के जरिए दिया जाना अहम गाइडलाइन में शामिल है। इसके पीछे छिपे कई फायदे बच्चे के डेवलपमेंट की नींव साबित होते हैं।
होते हैं कई अहम फायदे
इन्फेक्शन के दौर में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। दरअसल, बाहरी माहौल में आते ही इन्फेक्शन से बचाव बहुत जरूरी है, क्योंकि नवजात शिशु में इम्यून सिस्टम पूरी तरह डेवलप नहीं होता, यहां एंटीबॉडीज उसकी रक्षा करती हैं। मां के शरीर से बाहर आते ही उसके टेम्प्रेचर में बदलाव होता है। शरीर के टेम्प्रेचर को स्टेबल रखकर गर्माहट देना भी इसका एक अहम फायदा है, जो ब्रेस्टफीडिंग से मिलता है। यह दूध आसानी से पच जाता है, जिससे बच्चे का डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। ब्रेस्टफीडिंग से हड्डियां मजबूत होती हैं, बच्चे की फिजिकल और मेंटल ग्रोथ अच्छी रहती है। यह बच्चों को एलर्जी से भी बचाता है।
पहले से कर लें तैयारी
यह मेटाबॉलिज्म रेगुलेशन ठीक रखता है, जो सेहत के लिहाज से एक अहम पहलू है। यह कई तरह के रोगों जैसे न्यूमोनिया, डायरिया, डायबिटीज वगैरह से बचाव करता है। ब्रेस्टफीडिंग से मां और बच्चे के बीच एक इमोशनल बॉन्ड बनता है, जो बहुत अहम चीज है। प्रॉपर लेक्टेशन के लिए प्रोलैक्टिन नाम का हार्मोन जिम्मेदार होता है। हर चीज़ की तैयारी पहले से ही करना ठीक रहता है। प्रेग्नेंसी की शुरुआत होते ही कई बदलावों के तहत मां और बच्चे, दोनों की जरूरतों में इजाफा हो जाता है, खासकर डाइट में। प्रेग्नेंसी के दौरान मां को न्यूट्रिशन वाली बैलेंस्ड डाइट और दूध का सेवन करने को कहा जाता है। आजकल डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि जन्म के 6 महीनों तक सिर्फ दूध के अलावा कोई लिक्विड डाइट ना दें। जन्म के 45 मिनट बाद बच्चे को तेज भूख लगती है, इसलिए उसे तुरंत ब्रेस्टफीडिंग कराना जरूरी है।
पता होना चाहिए सही तरीका
पहली बार मां बनने जा रही मां को ब्रेस्टफीडिंग का सही तरीका, पोजीशन, वक्त और प्रोसेस ठीक से समझा देना बहुत जरूरी है, क्योंकि गलत तरीके से ना तो बच्चा प्रॉपर डाइट ले पाएगा और ना मां को सैटिस्फैक्शन मिलेगा। पोजीशन की बहुत अहमियत है जिससे बच्चे को सांस लेने में रुकावट ना हो। कुछ वक्त बाद बच्चा सकिंग रिफ्लेक्स के जरिए खुद ब्रेस्टफीडिंग करने लगता है। साफ-सफाई न होने पर होने वाले इन्फेक्शन से बचाव के लिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सफाई पर खास ध्यान देना जरूरी है। हाल ही में मां बनी महिला को मेंटल सपोर्ट देना जरूरी है, क्योंकि ऐसा होने पर उसे ब्रेस्टफीडिंग कराने में आसानी रहती है।
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