कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीजों की जान को अधिक खतरा, रिसर्च का खुलासा
कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीजों के बारे में अध्ययन में पता चला है कि यह वायरस इन मरीजों के शरीर में ‘साइलेंट किलर’ की तरह खतरनाक ढंग से हमला कर रहा है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश बन गया है, जहां कोरोनावायरस का विस्तार तेजी से हो रहा है। भारत में कोरोना के ऐसे मरीज परेशानी का सबब बने हुए हैं, जो कोरोना पॉजिटिव हैं, लेकिन उनमें कोरोना के कोई लक्षण दिख नहीं रहे। कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीजों के बारे में अध्ययन में पता चला है कि यह वायरस इन मरीजों के शरीर में ‘साइलेंट किलर’ की तरह खतरनाक ढंग से हमला कर रहा है। भारत में करीब 80 फीसदी मरीज एसिम्प्टोमैटिक हैं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया में ऐसे मरीजों की संख्या छह से 41% तक हो सकती है।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ऐसे मरीजों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं और उनमें निमोनिया का खतरा बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पहली बार एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के क्लीनिकल पैटर्न से ये बात सामने आई है। इन मरीजों के फेफड़ों को नुकसान तो हुआ, लेकिन इनमें खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नहीं दिखे। हालांकि, ऐसे मरीजों की अचानक से मौत होने का खतरा भी रहता है।
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग से तलाश
शोधकर्ताओं ने 37 बिना लक्षण वाले मरीजों से जुड़े डाटा का अध्ययन किया, जो कि चीन के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन संस्थान द्वारा जुटाया गया था। इस संस्थान ने चीन में फरवरी से अप्रैल तक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग व जांच के जरिए कुल 2088 मरीजों को ढूंढा था। मरीजों के सीटी स्कैन से पता लगा कि 57 प्रतिशत मरीजों के फेफड़ों में धारीदार छाया थी, जो कि फेफड़ों में सूजन या इन्फ्लेमेशन का लक्षण है। जिसमें फेफड़े अपनी स्वाभाविक क्षमता से काम करना बंद कर देते हैं।
डब्लूएचओ के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रायन का कहना है कि बिना लक्षण वालों के मुंह से निकली संक्रमित बूंदें आसानी से दूसरे व्यक्ति तक नहीं पहुंचतीं। जब कोई गाता है, जिम करते समय तेज सांस भरता है, क्लब में तेजी से गाता है या पास खड़े किसी व्यक्ति पर चिल्लाता है तो ये बूंदें हवा के दवाब से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करती हैं।
Written By Shahina Noor