अस्थमा के मरीज ऐसे करें पिप्पली का सेवन, जल्द मिलेगा फायदा
पिप्पली एक वानस्पतिक पौधा है। अंग्रेजी में इसे लॉन्ग पेपर कहते हैं। आयुर्वेद में पिप्पली को दवा और किचन में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद काली मिर्च की तरह तीखा होता है। पिप्पली का फल खसखस की तरह होता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। अस्थमा सांस संबंधी रोग है। इस रोग में मरीज को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है। साथ ही सीने में दबाव महसूस होता है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है। ये रुकावट एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन हो जाती है। डॉक्टर हमेशा अस्थमा के मरीजों को सेहत का विशेष ख्याल रखने की सलाह देते हैं। खासकर कोरोना काल में अस्थमा से पीड़ित लोगों को घर में रहना चाहिए। साथ ही रोजाना काढ़ा का सेवन करना चाहिए। अगर आप भी अस्थमा के मरीज हैं, तो पिप्पली का सेवन कर सकते हैं। आइए जानते हैं-
पिप्पली क्या है
पिप्पली एक वानस्पतिक पौधा है। अंग्रेजी में इसे लॉन्ग पेपर कहते हैं। आयुर्वेद में पिप्पली को दवा और किचन में मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका स्वाद काली मिर्च की तरह तीखा होता है। पिप्पली का फल खसखस की तरह होता है। दक्षिण भारत में इसकी खेती की जाती है। इसके तने और फल के अलावा पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा सहित कई बीमारियों में सहायक सिद्ध होते हैं।
रिसर्च गेट पर छपी एक शोध में पिप्पली के फायदे को बताया गया है। इस शोध की मानें तो पिप्पली में एंटी-अस्थमा के गुण पाए जाते हैं। यह शोध चूहों पर किया गया था। इसमें चूहों को पिप्पली का अर्क का पाउडर खाने में मिलाकर दिया गया। इसके सेवन से चूहों में फायदा देखा गया। इसके लिए पिप्पली पाउडर को दूध में मिलाकर सेवन करें। खासकर रात में सोने से पहले दूध के साथ सेवन करने से बहुत ज्यादा आराम मिलता है। इसके अलावा, सांस संबंधी बीमारियों सहित फ्लू में भी आराम मिलता है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।