Sarcastic Be Alert :क्या आपका रवैया व्यंगात्मक हैं? तो संभल जाइए, यह आपकी मौत का कारण भी हो सकता है- जानिए कैसे
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि अगर कोई व्यक्ति हार्ट अटैक का मरीज है और उसका व्यावहार अक्सर शत्रुतापूर्ण होता है तो हार्ट अटैक के दौरान उसकी मौत हो सकती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। व्यंग करना कुछ लोगों के जीवन का हिस्सा बन जाता है। अक्सर लोग दूसरों पर किसी न किसी बहाने व्यंग करने से नहीं चूकते। अगर यह व्यंग हल्का-फुल्का हो तो सामने वाला मजा लेता है, लेकिन अगर यह व्यंग कपटपूर्ण और दुष्टता से भरा हो तो सामने वालों पर इसका बहुत बुरा असर होता है। अब एक नई रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि दुष्टतापूर्ण व्यंग करने से चाहे सामने वालों पर असर हो या नहीं हो व्यंग करने वालों पर बहुत बुरा असर होता है। यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि अगर कोई व्यक्ति हार्ट अटैक का मरीज है और उसका व्यावहार अक्सर शत्रुतापूर्ण होता है तो ऐसे व्यक्तियों में दूसरा हार्ट अटैक आने के समय इस बात की ज्यादा आशंका है उसकी मौत हो जाए। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की है।
दूसरी बार हार्ट अटैक का सटीक अनुमान लगाया जा सकता
अमेरिका में दिल की बीमारियों से जूझ रहे 230 लोगों पर किए गए अध्ययन में देखा गया कि जिन लोगों का चरित्र कपटपूर्ण या दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया था, उनमें दूसरी बार हार्ट अटैक के समय बचने की संभावना बहुत कम पाई गई।व्यंगात्मक, निराशावादी, अप्रसन्नता, अघीरता या चिड़चिड़ापन रखने वाले लोगों को इस श्रेणी में रखा गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसी मनोस्थिति वाले लोगों की भावनात्मक स्थिति लगातार उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इतना ही नहीं जो लोग दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाते हैं वह अपनी खुशी के लिए भी बेपरवाह हो जाते हैं और सिगरेट, शराब के चंगुल में खुद को फंसा लेते हैं। ऐसे लोगों का लाइफस्टाइल भी बहुत खराब होता है।वह संतुलित आहार भी नहीं लेते हैं। 2300 लोगों पर दो साल तक किए गए अध्ययन के अंत में प्रतिभागियों के जीवित रहने की दर की तुलना उसके व्यक्तित्व के स्कोर से की गई। इसके बाद पाया गया कि किसी व्यक्ति के दूसरी बार हार्ट अटैक होने की स्थिति में उसके मरने की आशंका का अनुमान उसके शत्रुतापूर्ण व्यावहार से सटीक तौर पर लगाया जा सकता है। शोधकर्ताओं की यह रिसर्च यूरोपियन जर्नव कार्डियोवास्कुलर नर्सिंग में छपी है।
Written By: Shahina Noor