30 मिनट की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से हाई बीपी में मिलेगा आराम

कनाडा के साइंटिस्ट्स ने अपनी रिसर्च में किया दावा कहाः स्ट्रेचिंग करना वॉक करने से ज्यादा असरदार है साइंटिस्ट्स का ये भी दावाः स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना आसान भी है क्योंकि इसे कहीं भी और कभी भी किया जा सकता है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 08:16 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 08:16 AM (IST)
30 मिनट की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से हाई बीपी में मिलेगा आराम
पार्क में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करती हुए युवती

हाई ब्लड प्रेशर से परेशान मरीजों के लिए खुशखबरी है कि रोज़ाना बस 30 मिनट की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर आप काफी हद तक इस समस्या को कंट्रोल कर सकते हैं। आपको शायद यह न पता हो लेकिन यह वॉक से भी ज्यादा फायदेमंद है। यह दावा कनाडा की एक यूनिवर्सिटी ने किया है। साइंटिस्ट्स का कहना है, स्ट्रेचिंग और वॉक का हाई ब्लड प्रेशर पर कितना असर पड़ता है, यह रिसर्च के जरिए जानने की कोशिश की गई है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, रिसर्च के दौरान हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे 40 मरीजों को दो ग्रूप में बांटा गया। एक ग्रूप को वॉक और दूसरे को स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने की सलाह दी गई। रिसर्च में सामने आया कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में वॉक से ज्यादा स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज असरदार रही।

स्ट्रेचिंग से दूर होती है मसल्स की अकड़न  

फिजिकल एक्टिविटी एंड हेल्थ जर्नल में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से आपकी हर एक अकड़ी हुई मसल्स खुलती है। इसका असर मसल्स से लेकर धमनियों तक होता है। 

चर्बी घटाने के लिए वॉक बेहतर

खास बात ये है कि इस रिसर्च में दावा किया गया है कि अगर आप तेजी से फैट कम करना चाहते हैं तो वॉक करना बहुत ही बेहतरीन ऑप्शन है।

रिसर्च के दौरान सामने आया कि जिन लोगों ने वॉक किया उनका वजन स्ट्रेचिंग के मुकाबले ज्यादा कम हुआ।

साइंटिस्ट्स का कहना है, खुद को रिलैक्स करने के लिए सोफे की बजाय जमीन पर बैठें और टीवी देखते हुई भी स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर को ऐसे रखें दुरुस्त

हेल्थ एक्सपर्ट्स और न्यूट्रीशियन एनालिस्ट्स का मानना है कि ब्लड प्रेशर बीमारी नहीं, यह शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव का एक लक्षण है।

उनके मुताबिक, इसे काबू करने के दो फॉर्मूले है। पहला, अपने रोज के खाने में 50 फीसदी फल और सब्जियां खाएं, नमक और तेल से दूर रहें।

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक पेशेंट जैसे ही डॉक्टर को देखता है उसका बीपी बढ़ना शुरू हो जाता है, जैसे ही वह हॉस्पिटल से बाहर आता है, बीपी सामान्य होना शुरू हो जाता है।

मेडिकल भाषा में इसे व्हाइट कोट सिंड्रोम कहते हैं। दवा लेने वाले 80 परसेंट मरीजों में यह सिंड्रोम देखा गया है। ऐसे मरीजों को दवा की इतनी जरूरत नहीं होती।

इस तरह बीपी केवल कुछ समय के लिए अचानक बढ़ता है, ब्लड प्रेशर बीमारी नहीं, यह इमरजेंसी में हमें तैयार करने का एक माध्यम जैसा है।

Pic credit- Freepik

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