चाईबासा नगर परिषद के विस्तार की योजना पर भड़के दुम्बीसाई के ग्रामीण

सदर प्रखंड के दुम्बीसाई मौजा में मंगलवार को मानकी दलपत देवगम की अध्यक्षता में ग्रामसभा की बैठक हुई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 08:34 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 08:34 PM (IST)
चाईबासा नगर परिषद के विस्तार की योजना पर भड़के दुम्बीसाई के ग्रामीण
चाईबासा नगर परिषद के विस्तार की योजना पर भड़के दुम्बीसाई के ग्रामीण

जागरण संवाददाता, चाईबासा : सदर प्रखंड के दुम्बीसाई मौजा में मंगलवार को मानकी दलपत देवगम की अध्यक्षता में ग्रामसभा की बैठक हुई। इसमें उपस्थित ग्रामीणों ने एक सुर में ग्रामीण क्षेत्र में नगर परिषद के विस्तार का मुखर विरोध करते हुए कहा कि जल, जंगल व जमीन सहित अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की नीयत और ग्रामीण क्षेत्रों में बाहरी आबादी को बसाने की साजिश के तहत नगर परिषद विस्तार का प्रस्ताव लाया गया है जो किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। जरूरत पड़ने पर इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन के लिए भी ग्रामीण तैयार हैं। मौजा दुम्बीसाई, कमारहातु, मतकमहातु, गुटूसाई, गितिलपी, तमाड़बांध, सिकुरसाई, खप्परसाई, डिलियामार्चा, टोंटो व नरसंडा सहित सभी गांव पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। जहां रुढि़जन्य पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था (मानकी- मुंडा व्यवस्था) लागू है, जहां ग्राम सभाएं प्रभावी हैं। उक्त क्षेत्र में पारंपरिक रीति-रिवाजों, सामाजिक व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों यथा जल, जंगल व जमीन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेसा कानून के तहत ग्राम सभाओं को विशेष शक्ति प्रदत्त है। ग्रामसभा के माध्यम से विल्किसन रूल्स के तहत मानकी-मुंडाओं के द्वारा ग्रामीणों को गांव में ही सहज एवं सस्ता न्याय उपलब्ध कराया जाता है तथा न्याय पंच के माध्यम से दीवानी मुकदमों का निश्शुल्क निपटारा कर लोगों को सहज सुलभ और निश्शुल्क न्याय दिया जाता है। गांव के छोटे-मोटे झगड़ों एवं विवादों का निपटारा मानकी-मुंडा व ग्रामसभा के माध्यम से गांव में ही हो जाता है। लोगों को थाना पुलिस या कोर्ट कचहरी का चक्कर काटना नहीं पड़ता है। उक्त गांव अथवा उनके आंशिक भाग को नगर परिषद क्षेत्र में शामिल करने पर इन गांवों के ग्रामीणों को इस सुविधा से वंचित हो जाएंगे। वर्षों से चली आ रही रुढि़जन्य पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था ( मानकी मुंडा व्यवस्था ) ध्वस्त हो जाएगा। ग्राम सभाओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा जिससे पारंपरिक रीति-रिवाजों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सामाजिक व्यवस्था चरमरा जाएगा। संरक्षित प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल व जमीन) की सुरक्षा कवच टूट जाएगा। जल, जंगल और जमीन के लूट का दरवाजा खुल जाएगा और बड़े पैमाने पर अनुसूचित क्षेत्र में बाहरी आबादी को बसाने का रास्ता साफ हो जाएगा जिसके कारण आदिवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रीति-रिवाजों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। गांव के क्षेत्र में जमीन की मालगुजारी के अलावा ग्रामीणों को और कोई भी टैक्स नहीं देना पड़ता है। वहां म्युनिसिपल एक्ट लागू होने से लोगों पर होल्डिग टैक्स, बिल्डिग टैक्स, फुटपाथ टैक्स, बिजली टैक्स, सफाई टैक्स, पानी टैक्स समेत अन्य कई प्रकार के टैक्स का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। मानकी मुंडा व्यवस्था एवं विल्किसन रूल्स के तहत मिलने वाले सहज एवं सस्ते न्याय से लोग वंचित हो जाएंगे। बैठक में मुखिया गिरीश चंद्र देवगम, सोनाराम देवगम, बंशीधर देवगम, कृष्ण देवगम, मांझी देवगम, अभिराम सिंह देवगम, बुटुली देवगम, कश्मीरा देवगम, जुनू देवगम आदि ग्रामीण उपस्थित थे।

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