इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है राड़ा बांसिंह

दो साल के अंतराल में छह बकरा बतख समेत मुर्गे की बलि चढ़ाने के बाद भी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 06:25 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 06:25 PM (IST)
इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है राड़ा बांसिंह
इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है राड़ा बांसिंह

परमानंद गोप, नोवामुंडी : दो साल के अंतराल में छह बकरा, बतख समेत मुर्गे की बलि चढ़ाने के बाद भी स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। किसी तरह स्वास्थ्य में सुधार हो इसके लिए रिश्तेदारों से 20 हजार रुपये उधार लेकर देशी जड़ी-बूटियों से इलाज कराया गया। कुछ ऐसा ही हो रहा है नोवामुंडी प्रखंड से 25 किमी दूर पोखरिया गांव के बंगला साई टोला के रहने वाले राड़ा बांसिंह के साथ। पिता की देखभाल में बेटी फूलमनी बांसिंह ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। पत्नी शांती बांसिंह मजदूरी करना छोड़कर दिनभर पति की सेवा में लगी रहती है। गांव के राशन दुकान से महीने में मिलने वाले 35 किलो चावल से तीन सदस्य वाले परिवार का गुजारा तो चल जाता है। परंतु तेल, साबुन के लिए काफी मुश्किल हो गई है। जब दोनों मां-बेटी घर से बाहर जंगल में दातून, पत्ते व लकड़ी लाने जाती हैं तो राड़ा बांसिंह अकेले घर के बाहर बैठकर या तो सोकर समय गुजरता है। पत्नी शांति बांसिंह ने बताया कि रिश्तेदारों से 20 हजार रुपये उधार लेकर देशी जड़ी-बूटी का भी सहारा लिया गया। फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ। राड़ा बांसिंह दो साल पहले पूरी तरह से स्वस्थ था। अचानक कमर से लेकर निचले अंग दोनों पैर ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है। सुबह मां-बेटी दोनों मिलकर उसे उठाकर बाहर निकलते और देर शाम को घर में ले आती हैं।

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कुंद्रीझोर गांव से पोखरिया गांव की दूरी लगभग पांच किमी है। राज्य अलग होने के 20 साल पहले सड़क निर्माण हुई थी। फिलहाल सड़क की हालत इस कदर हो गई है, कि कोई भी व्यक्ति इस सड़क से होकर एकबार गुजरेगा तो दोबारा आने के लिए हिम्मत भी नहीं जुटा पाएगा। जर्जर सड़क की हालत देखकर एंबुलेंस भी आना नहीं चाहती है। इसी को लेकर राड़ा बांसिंह को केवल एक बार कविराज के पास लेकर शहरी क्षेत्र गए थे। आठ किमी दूर जेटेया में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेंद्र है। परंतु जरूरत के अनुरूप डॉक्टर व दवा भी उपलब्ध नहीं रहता है।

फोटो - 11- चरण केड़ाई, ग्रामीण पोखरिया गांव।

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कमर से निचले अंग का काम नहीं करना हेमिपलीजिमा रोग के लक्षण हैं। इसका इलाज यहां संभव नहीं है। इसे जांच के बाद सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाएगा। शनिवार को रोगी को लाने के लिए 108 एंबुलेंस भेजा जाएगा। इसकी सूचना किसी के माध्यम से पहले दे देना चाहिए।

- डॉ. बीके सिन्हा, चिकित्सा पदाधिकारी, नोवामुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।

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