बेमौसम बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त

संवाद सूत्र नोवामुंडी नोवामुंडी प्रखंड क्षेत्र में शनिवार शाम से रुक-रुककर हो रही बारिश्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:16 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:16 PM (IST)
बेमौसम बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त
बेमौसम बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : नोवामुंडी प्रखंड क्षेत्र में शनिवार शाम से रुक-रुककर हो रही बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसके चलते सुबह से ही लोग घरों में दुबके नजर आए। बारिश को लेकर सोमवार को बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। वहीं आमजनों की दिनचर्या भी प्रभावित रही। सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी देर से पहुंचे। मानसून के आखिरी दौर में नोवामुंडी प्रखंड क्षेत्र में दो दिन से हो रही बारिश का 25 मिलीमीटर वर्षानुपात रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। दिनभर रुक-रुककर हुई बारिश से सड़क परिवहन पर भी असर पड़ा है। सुबह और दोपहर की बसों में यात्रियों की संख्या कम रही। सड़कों पर भी अन्य दिनों की अपेक्षा यातायात की संख्या कम नजर आई। दो दिनों की लगातार बारिश से मुख्य सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो चुके हैं। आरओबी निर्माण कार्य चलने के कारण सड़कें पूरी तरह से संकीर्ण हो गई हैं। प्रत्येक दिन संकीर्ण गड्ढेनुमा सड़क से होकर सैकड़ों टन माल ढुलाई होने के कारण सड़क चलने लायक नहीं है। वहीं बारिश के पानी से सड़क के गड्ढे में भर चुके हैं। नोवामुंडी में शनिवार रात से हो रही दिन-रात की बारिश के कारण सोमवार की सुबह सूर्योदय होने के बाद भी यह पता नहीं चल पा रहा था कि सूर्य निकल गया है। बारिश को लेकर कोटगढ़ क्षेत्र से पहुंचे दैनिक मजदूरों को बस स्टैंड से घर लौटना पड़ गया।

खेतों की फसलों पर पड़ेगा प्रतिकूल असर

बारिश के कारण खरीफ फसलों की कटाई प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। अधिकतर इलाके में हल्की फसल कटाई का काम शुरू हो चुका है। हालांकि अब किसान बारिश नहीं चाहते हैं। हालिया बारिश से खेतों में काफी पानी भर गया है। खरीफ फसलों के शुरू होने के साथ ही रबी फसलों की बुवाई में इससे देरी की संभावना है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार रबी की बुवाई के दौरान खेतों में पर्याप्त नमी रहेगी। इसका फायदा किसानों को मिल सकता है। लेकिन मटर और सरसों की बुवाई में देरी तय है। हाल ही के दिन अधिकतर किसानों ने खेतों पर तैयार फसलों को काटकर खलियान में रख दिए हैं। बारिश के चलते खलियान में रखे फसल नुकसान होने की संभावना काफी हद तक बढ़ गई है।

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