टीएसएलपीएस ने ग्रामीणों की मानी मांगें

मंगलवार प्रखंड क्षेत्र के घाटकूड़ी स्थित टाटा स्टील लोंग प्रोजेक्ट विजय आयरन ओर माइंस लिमिटेड टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन एवं खदान से प्रभावित सारंडा के ग्रामीणों के बीच चला आ रहा विवाद किरीबुरु स्थित एसडीपीओ कार्यालय में हुई बैठक में खत्म हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 08:47 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 08:47 PM (IST)
टीएसएलपीएस ने ग्रामीणों की मानी मांगें
टीएसएलपीएस ने ग्रामीणों की मानी मांगें

संवाद सूत्र, मनोहरपुर : मंगलवार प्रखंड क्षेत्र के घाटकूड़ी स्थित टाटा स्टील लोंग प्रोजेक्ट विजय आयरन ओर माइंस लिमिटेड, टीएसएलपीएल खदान प्रबंधन एवं खदान से प्रभावित सारंडा के ग्रामीणों के बीच चला आ रहा विवाद किरीबुरु स्थित एसडीपीओ कार्यालय में हुई बैठक में खत्म हो गया। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा 21 अक्टूबर को आहूत अनिश्चितकालीन खदान ठप करने का आंदोलन वापस ले लिया गया है। इस संबंध में सारंडा पीढ़ मानकी लागुड़ा देवगम व अखिल झारखंड श्रमिक संघ के कोल्हान प्रभारी राजू सांडिल ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि बीते शनिवार को किरीबुरू एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर की अध्यक्षता में टीएसएलपीएल कंपनी प्रबंधन के सीएसआर हेड (टाटा स्टील, नोवामुंडी) अनिल उरांव, खान प्रबंधक देवाशीष मुखर्जी एवं सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम व राजू सांडिल के संयुक्त नेतृत्व में प्रभावित गांवों के मुंडा व ग्रामीणों की अहम बैठक हुई। टीएसएलपीएल प्रबंधन ने ग्रामीणों की लगभग सभी मांगें मान ली। साथ ही ग्रामीणों के विकास और उनके आर्थिक स्त्रोत बढ़ाने के लिए अन्य कार्य भी करने का भरोसा दिया। कंपनी प्रबंधन के इस आश्वासन के बाद सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम ने आगामी 21 अक्टूबर से कंपनी के खिलाफ किए जाने वाले आंदोलन अर्थात अनिश्चितकालीन माल ढुलाई ठप करने का निर्णय वापस लिया। बैठक में इंस्पेक्टर वीरेन्द्र एक्का, राजू सांडिल, कानूराम देवगम (मुंडा, जोजोगुटू), कुशु देवगम (मुंडा, जामकुंडिया), मंगल कुम्हार आदि शामिल थे। कंपनी आर्थिक उन्नति का अगुवा बने : मानकी

मानकी लागुड़ा देवगम ने कहा कि हम उक्त खदान प्रबंधन के दुश्मन नहीं हैं बल्कि सहयोगी हैं। सिर्फ कंपनी से हम प्रभावित गांवों के लोगों की यही आशा रहती है कि वह हमारे बेरोजगारों को रोजगार से जोडे़ं, हमारी सामाजिक व आर्थिक उन्नति का अगुवा बनें। कंपनी से हमारी मुख्य मांगें जिसमें प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदान में रोजगार देने, गांवों की एक समिति को खदान में वेंडर के तौर पर मान्यता देने, उस समिति को विभिन्न प्रकार के कार्य देकर जरूरतमंदों को रोजगार से जोड़ने, समय-समय पर मानकी-मुंडाओं के एक प्रतिनिधिमंडल से विभिन्न समस्याओं पर वार्ता कर उसका समाधान व सूचना का आदान-प्रदान करने, सीएसआर योजना के तहत विभिन्न प्रकार के कार्य करने की है। कंपनी प्रबंधन ने भी सकारात्मक आश्वासन दिया है, जिस कारण 21 अक्टूबर से प्रस्तावित आंदोलन को हम वापस ले लिए हैं। उन्होंने कहा कि बैठक काफी अच्छी रही तथा इसके लिए उन्होंने एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर को बधाई दी, जिन्होंने आगे बढ़कर इस विवाद को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा कंपनी प्रबंधन भी बधाई की पात्र है जो हम ग्रामीणों की समस्याओं को बेहतर तरीके से सुनकर उसका समाधान का भरोसा दिया। चरणबद्ध तरीके से होगा विकास कार्य : अनिल उरांव

टाटा स्टील, नोवामुंडी के सीएसआर हेड अनिल उरांव ने कहा कि खदान क्षेत्र के ग्रामीण हमारे खदान परिवार के अंग हैं एवं हम हमेशा उनके दुखों व समस्याओं को कम करने का प्रयास करते रहेंगे। उनकी मांगों के अलावे पर्यावरण की रक्षा हेतु ग्रामीणों की जमीन पर फलदार वृक्ष लगाकर बागवानी के क्षेत्र में स्वरोजगार से जोड़ आर्थिक उन्नति की ओर बढा़ने, शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु बेहतर प्रयास समेत अन्य कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।

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