आपराधिक घटनाओं को रोकने में समाज की भूमिका अहम : डा. बबलू सुंडी

आदिवासी हो समाज युवा महोत्सव सह दिउरी सम्मेलन की प्रचार-प्रसार टीम ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के तत्वावधान में सदर प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के गांव में प्रचार-प्रसार किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:34 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 07:34 PM (IST)
आपराधिक घटनाओं को रोकने में समाज की भूमिका अहम : डा. बबलू सुंडी
आपराधिक घटनाओं को रोकने में समाज की भूमिका अहम : डा. बबलू सुंडी

जागरण संवाददाता, चाईबासा : आदिवासी हो समाज युवा महोत्सव सह दिउरी सम्मेलन की प्रचार-प्रसार टीम ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा के तत्वावधान में सदर प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के गांव में प्रचार-प्रसार किया। 30 व 31 अक्टूबर को युवा महोत्सव सह दिउरी सम्मेलन कार्यक्रम में सामाजिक हिस्सा लेने के लिए दिउरियों एवं समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया। युवा महासभा केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा. बबलू सुंडी ने कहा कि समाज में हो रही आपराधिक घटनाएं जैसे दुष्कर्म, हत्या, नशाखोरी, भूमि-विवाद, डायन-अंधविश्वास व चोरी-डकैती आदि को लेकर ग्रामीणों के साथ साझा किया। इसपर नियंत्रण के लिए समाज की भूमिका अहम है। अभियान में महासभा महासचिव यदुनाथ तियु, जिलाध्यक्ष गब्बरसिंह हेंब्रम, सावन सोय, जयश्री तियु, शंकर सिदु, राज पुरती, तुराम हेम्ब्रम, डाक्टर हेम्ब्रम, कैलाश महतो आदि मौजूद थे।

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गांव-गांव प्रचार कर रही युवा महासभा

संवाद सूत्र, जगन्नाथपुर : युवा महोत्सव सह दियुरी सम्मेलन तथा आदिवासी हो समाज युवा महासभा केंद्रीय कमेटी के पुनर्गठन को लेकर शुक्रवार को हाटगम्हरिया प्रखंड क्षेत्र के बिकुली, जैरपी, बिंदीसाई व आमडीहा मौजा के कोड़ासाई आदि गांव में प्रचार-प्रसार किया गया। इस दौरान कोड़ासाई में ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की गई। बैठक में आदिवासी हो समाज युवा महासभा के जिला संयोजक गलाय चातोम्बा ने कहा है कि दो दिवसीय इस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में ओडिशा, बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली अन्य राज्यों के सामाजिक प्रतिनिधियों का आगमन होने जा रहा है। इसे सफल बनाने के लिए हम लोग गांवों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य दियुरी जितेन कोड़ा, सहायक दियुरी सोनाराम कोड़ा, बड़कुंवर कोड़ा, सीताराम कोड़ा, माटा कोड़ा, दामु कोड़ा, मुन्ना कोड़ा, मूचिराम सिकु, डिकुल कोड़ा, सुपाय कोड़ा, लुकना कोड़ा, बामाचरण कोड़ा, राधा पान, विशाल मछुवा, मिथुन कोड़ा समेत अन्य ग्रामीण व महिला मौजूद थे।

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