नया वैरिएंट डेल्टा प्लस बेहद साबित हो सकता खतरनाक

वैश्विक महामारी की अभी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि वायरस का नया वैरिएंट डेल्टा प्लस बेहद खतरनाक साबित हो सकता है..

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 09:00 AM (IST)
नया वैरिएंट डेल्टा प्लस बेहद साबित हो सकता खतरनाक
नया वैरिएंट डेल्टा प्लस बेहद साबित हो सकता खतरनाक

परमानंद गोप, नोवामुंडी : वैश्विक महामारी की अभी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि वायरस का नया वैरिएंट डेल्टा प्लस बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद खतरे को बहुत हद तक टाला जा सकता है। संक्रमण के पहले चरण के बाद सभी को लगा था कि हमने इसे हरा दिया है, लेकिन दूसरी लहर ने बता दिया कि हमें पहले से और अधिक सतर्क रहना है।

दूसरी लहर में जहां मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से पर्याप्त ऑक्सीजन, दवाइयां और अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल हो रहा था। ऐसे हजारों मामले सामने आए, जहां लोगों को दवाइयों के लिए खुद पर निर्भर रहना पड़ा। ऐसे में अब यह समझना बेहद जरूरी है कि हमारे सामने किस तरह की चुनौतियां होंगी? इससे निपटने की क्या रणनीति होनी चाहिए? इस बारे में नोवामुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पड़ताल करते हुए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाक्टर नरेंद्र सुंडी से जानकारी ली गई।

डाक्टर नरेंद्र सुंडी ने बताया कि अब हम तीसरे चरण की बात करें तो अनलॉकिग प्रक्रिया और बड़ी संख्या में आबादी के एक जगह से दूसरे जगह आने-जाने से हमारे लिए चुनौती भी बढ़ेगी। अगर सरकार की ओर से पहले ही जरूरी कदम नहीं उठाए गए होते तो शायद हमें दूसरी लहर बहुत पहले ही देखने को मिली होती। करीब 40-50 दिनों के लॉकडाउन ने इस वायरस को नियंत्रित करने में बहुत अधिक मददगार साबित हुआ है। अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान पर्याप्त टेस्टिग नहीं होने से भी मामलों में इजाफा हुआ था। संभावित तीसरी लहर में कम आयु वाले बच्चों पर असर दिखने की बात भी सामने आ रही है। तीसरी लहर की चुनौती में हम कितने तैयार : डाक्टर नरेंद्र सुंडी ने कहा कि इसके लिए हम बिल्कुल तैयार हैं। हम सभी ने पहले के अनुभव से अब बहुत कुछ सीख लिया है। देशभर के लगभग हर इलाके में इस संक्रमण के कम से कम एक मामला तो सामने आए ही है। इसलिए लोग अब इसे लेकर जागरूक हो गए हैं। शुरुआती दौर में कई लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने इसे अफवाह के तौर पर लिया था। इसी वजह से वायरस को फैलने में मदद मिली थी। अब ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी जागरूकता आई है। इसी को लेकर गांवों के लोग भी वैक्सीन लेने के लिए बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे हैं। सीएचसी संसाधनों के मामले में सबसे पीछे : नोवामुंडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा उपकरण आंकड़े पर गौर किया जाए तो अन्य सरकारी अस्पतालों में से बिल्कुल हटकर है। केंद्र भवन को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि सुविधा उपकरण से परिपूर्ण अस्पताल हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। सुविधा के नाम पर केवल 12 आक्सीजन बेड ही हैं। बच्चों के स्पेशल बेड की अलग से कोई सुविधा नहीं है। अब तक ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति मिली है। विभाग से अब तक आदेश नहीं आया है। केंद्र में क्या-क्या सुविधाएं हैं

ऑक्सीजन बेड संख्या : 12 (तीस बेड बढ़ाने की उम्मीद है)

वेंटिलेटर : शून्य

ऑक्सीजन प्लांट : शून्य (स्वीकृति मिली है) आदेश नहीं आया है।

बच्चों के स्पेशल बेड : शून्य

आइसीयू : शून्य

पीआइसीयू : शून्य

मैन पावर संख्या : 15 (और बढ़ाने की उम्मीद है)

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