अधिकार सुरक्षा समिति ने निकाली पदयात्रा

जगन्नाथपुर प्रखंड के जैंतगढ़ और मालुका मार्केट चौक-चौराहे पर बाल अधिकार सुरक्षा समिति व एस्पायर संगठन के तत्वावधान में गुरुवार को भारतीय संविधान दिवस मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:57 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:57 PM (IST)
अधिकार सुरक्षा समिति ने निकाली पदयात्रा
अधिकार सुरक्षा समिति ने निकाली पदयात्रा

संवाद सूत्र, जैंतगढ़ : जगन्नाथपुर प्रखंड के जैंतगढ़ और मालुका मार्केट, चौक-चौराहे पर बाल अधिकार सुरक्षा समिति व एस्पायर संगठन के तत्वावधान में गुरुवार को भारतीय संविधान दिवस मनाया गया। इसका नेतृत्व समिति के सलाहकार मंजीत कोड़ा ने किया। इस दौरान समिति ने बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल हिसा व बाल दुराचार जैसे असामाजिक कार्यो पर रोक के लिए जैंतगढ़ नया बाजार, भंगापुलिया, हनुमान चौक, साप्ताहिट हाट परिसर आदि में पदयात्रा निकाली गई। इस अवसर पर सभी ने संकल्प लेकर जैंतगढ़ को बाल श्रममुक्त बनाने का निर्णय लिया और संविधान दिवस पर बच्चों को मिले संवैधानिक अधिकारों की भी जानकारी दी। पदयात्रा सह जागरूकता कार्यक्रम में समिति के उपाध्यक्ष सोमनाथ सिकू, आर भूमिज, मुक्ता केराई, अम्बाई केराई, श्रम मित्र शशिभूषण प्रधान, सीआरसी सतीश कुमार गोप, श्याम सुण्डी, मानकी कृष्णा सिक, बिरसा भगवान सिकु, रविद्र राठौर, तुलाराम बाग, महावीर दिग्गी, मनोज पान, कृष्णा बोबोंगा, गुरुचरण बानरा, राकेश केराई सहित अन्य शामिल थे।

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संविधान के चलते सभी को बोलने का मिला अधिकार : डा. मुरारी लाल वैद्य

जासं, चाईबासा : भारतीय संविधान की वजह से हर एक भारतीय नागरिक अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है। क्योंकि वह इस बात पर फक्र करता है कि हम उस देश के निवासी हैं जहां का संविधान विश्व का सबसे बड़ा और अच्छा संविधान है। भारत देश में आज इसी संविधान के चलते सभी को बोलने का अधिकार मिला है। उक्त बातें कोल्हान विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर डा. मुरारी लाल वैद्य ने संविधान दिवस पर कही। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान आपने आप में एक महान संविधान है। परंतु जिस तरह से समय और स्थिति में बहुत परिवर्तन हुए है और हो रहे हैं उस तरह से हमारे संविधान में भी परिवर्तन होना चाहिए था जो नहीं हो पाया जिसके चलते कभी-कभी ऐसा लगता है की हमलोग पीछे होते जा रहे हैं। जैसे वेतन आयोग हर पांच साल में अपना पुनरीक्षण करता हुआ कर्मचारियों की वेतन को अद्यतन करता है। उसी प्रकार संविधान के प्रत्येक अनुसूची, कानून तथा धाराओं में भी हर पांच वर्ष में पुनरीक्षण होते रहना चाहिए ताकि समय के अनुसार संविधान भी सही बात का निर्णय लें सकें।

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