80 हजार संक्रमितों की जांच कर नेयाज व सूरज ने पेश की नजीर

कोरोना काल में अपने जीवन को जोखिम में डालकर दूसरों के सेवा में लिए तत्पर रहने वाले पश्चिम सिंहभूम में भी गण के तंत्र मौजूद हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 07:55 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 07:55 PM (IST)
80 हजार संक्रमितों की जांच कर नेयाज व सूरज ने पेश की नजीर
80 हजार संक्रमितों की जांच कर नेयाज व सूरज ने पेश की नजीर

संवाद सहयोगी, चाईबासा : कोरोना काल में अपने जीवन को जोखिम में डालकर दूसरों के सेवा में लिए तत्पर रहने वाले पश्चिम सिंहभूम में भी गण के तंत्र मौजूद हैं। जो कोरोना संक्रमण काल में अपनी चिंता छोड़कर सेवा के लिए समर्पित रहे। इसमें नेयाज अहमद व सूरज ठाकुर दोनों स्वास्थ्य कर्मी विपरीत परिस्थिति में कोरोना सैंपल कलेक्शन के लिए जिला में तैनात किए गए थे। संक्रमण काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल कलेक्शन के लिए कई एक्सपर्टों से संपर्क किया। लेकिन कई लोगों ने इस कार्य को करने से इंकार कर दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में तैनात नेयाज अहमद व सूरज ठाकुर ने कोरोना संक्रमित मरीजों का जांच करने का जिम्मा उठाया। जिले में अबतक दो लाख से अधिक लोगों की जांच की गई। इसमें इन दोनों ने लगभग 80 हजार लोगों के सैंपल का कलेक्शन किया हैं। इसमें से हजारों लोग संक्रमण के शिकार भी थे। लेकिन दोनों एहतियात के साथ अपने को बचाते हुए इस काम में लगातार जुड़े हुए हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए नेयाज अहमद ने कहा कि कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन करने की जिम्मेदारी हमारी थी। बढ़ते लोगों की संख्या को देखते हुए हम लोग तीन शिफ्ट में काम करने लगे। सुबह व शाम में अस्पताल में सैंपल लेते थे। रात में कोविड अस्पताल में जाकर मरीजों का सैंपल एकत्र करते थे। वहां सबसे ज्यादा जोखिम था क्योंकि वहां सिर्फ पाजिटिव मरीजों कै सैंपल लेना पड़ता था। कई बार तो रात तीन बजे तक बज जाते थे तो अस्पताल की फर्श पर ही कई रात सोना पड़ता था। घर में एक छोटी बेटी थी इसलिए रात में देर होने से घर भी नहीं जाते थे। संक्रमण से बचाव के लिए परिवार से दूर भी रहना पड़ा। घर-परिवार के लोग कभी मना करते थे, कभी हौसला बढ़ाते थे। क्योंकि जोखिम भरे काम से परिवार के लोग डरे रहते थे। चक्रधरपुर में सैंपल लेने के दौरान एक बार संक्रमण का शिकार भी हो गए थे। ठीक होकर फिर से काम पर लौटे और लगातार काम कर रहे हैं। इस दौरान कई बार ऐसा आया कि रात में एंबुलेंस चालक नहीं होने के कारण खुद से ही एंबुलेंस चलाकर चालक का भी कार्य किया। वहीं सूरज ठाकुर ने कहा कि संक्रमण काल में बहुत मेहनत करना पड़ा। कोरोना संक्रमित मरीजों का सैंपल कलेक्शन अपने आप में ही जोखिम भरा काम है। परिवार का पूरा सपोर्ट मिला। काम करते-करते कब रात होती थी कब सुबह कुछ पता नहीं चल पाता था। कई बार अस्पताल में ही सोने को मजबूर होते थे। खाने-पीने का भी कोई वक्त नहीं था। लेकिन संतोष वाली बात थी कि विश्व की सबसे बड़ी महामारी में जिलावासियों के लिए कुछ करने का मौका मिला था। मैं संक्रमण के बीच भी रहकर संक्रमित नहीं हुआ।

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