सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान व रक्षा करना सभी का दायित्व
देश की सार्वजनिक या राष्ट्रीय संपत्ति के प्रति अपनी निजी संपत्ति जैसी चिता और सुरक्षा का भाव रखना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इसका निर्वहन कर वह एक प्रकार से स्वयं का भी हित करता है क्योंकि सार्वजनिक संपत्ति एक राष्ट्रीय संपत्ति है जो सब के उपयोग के लिए है और यदि वह सुरक्षित रहेगी तो सभी के लिए उपलब्ध रहेगी।
देश की सार्वजनिक या राष्ट्रीय संपत्ति के प्रति अपनी निजी संपत्ति जैसी चिता और सुरक्षा का भाव रखना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इसका निर्वहन कर वह एक प्रकार से स्वयं का भी हित करता है क्योंकि सार्वजनिक संपत्ति एक राष्ट्रीय संपत्ति है जो सब के उपयोग के लिए है और यदि वह सुरक्षित रहेगी तो सभी के लिए उपलब्ध रहेगी। वस्तुत यह राष्ट्र की विरासत होती है। दरअसल सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान और सदुपयोग हमारे संस्कारों पर भी निर्भर करता है। इतिहास गवाह है कि जिस देश के नागरिकों में राष्ट्रभक्ति की भावना उच्च कोटि की होती है और जहां के लोगों के भीतर अपनी राष्ट्रीय संपदा के प्रति प्रेम और संरक्षण की भावना होती है वह देश उन्नति के पथ पर अग्रसर होता चला जाता है और वहां की सार्वजनिक संपत्ति विरासत के तौर पर संभाल कर अगली पीढ़ी को सौंप दी जाती है।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने कहा था कि समाज और राष्ट्र के विकास के लिए बनाए गए इंफ्रास्ट्रक्चर का सदुपयोग और उसकी रक्षा करना सभी देशवासियों का कर्तव्य है। वह नागरिक जो राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करते हैं एक सैनिक की तरह देश प्रेम की भावना का परिचय देते हैं। किसी भी देश की महानता उसके क्षेत्रफल से नहीं बल्कि देशवासियों के आचरण से आंकी जाती है। इस लिहाज से हमारे देश का गौरवशाली अतीत रहा है परंतु मौजूदा समय में यह देखा जा रहा है कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर देश वासी सबसे पहले सार्वजनिक संपत्ति को ही अपना निशाना बना रहे हैं। क्या हम इस बात से अनजान हैं कि सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई किसी अन्य की जेब से नहीं होती है बल्कि जनता को ही यह बोझ उठाना पड़ता है। संविधान के मूल कर्तव्य में भी कहा गया है कि हमें हर हाल में सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना है तो आइए हम सब मिलकर संकल्प ले की हम अपने देश के सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखेंगे एवं इसका सदुपयोग करेंगे साथ ही यदि कोई सार्वजनिक अथवा राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो हम सब मिलकर उसे रोकने का प्रयास करेंगे और अपने देश को उन्नति के मार्ग पर ले जाने में अपनी भागीदारी निभाएंगे। यह वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। हम सभी का भी कर्तत्व बनता है कि बच्चों को सही मार्ग दिखाएं। उन्हें भटकने नहीं दें। देश की विरासत और उसके संस्कारों के बारे में बताएं।
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असीम कुमार सिंह
प्रधानाध्यापक
आदर्श नगरपालिका बंगला मध्य विद्यालय, चाईबासा