बारिश में कैद हो जाते हैं लिमतुर के ग्रामीण

लगातार हो रही बारिश में कोयना नदी उफान पर है। तटीय इलाके के लोग परेशान है। इसमें चिरिया का लोडो गांव का सबसे पिछड़ा टोला माने जाने वाला लिमतुर के लोग पानी भर जाने से कैदियों की तरह रहने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 06:14 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 06:14 AM (IST)
बारिश में कैद हो जाते हैं लिमतुर के ग्रामीण
बारिश में कैद हो जाते हैं लिमतुर के ग्रामीण

संसू, चिरिया : लगातार हो रही बारिश में कोयना नदी उफान पर है। तटीय इलाके के लोग परेशान है। इसमें चिरिया का लोडो गांव का सबसे पिछड़ा टोला माने जाने वाला लिमतुर के लोग पानी भर जाने से कैदियों की तरह रहने को मजबूर हैं। बाढ़ आने पर इस नदी का रूप विकराल हो जाती है। जिससे टोले वालों का संपर्क अन्य गांव व टोले से पूरी तरह कट जाता है। मालूम हो कि कोयना नदी में वर्षो से पुल के निर्माण के लिए आवाज उठती रही है, लेकिन शायद यह आवाज राज्य की कैबिनेट मंत्री जोबा माझी और सांसद गीता कोड़ा के कानों तक नहीं पहुंची, जिससे पुल निर्माण का मामला आज तक अधर में है। कोयना नदी में पुल क निर्माण नहीं होने से अगर किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाए, तो उसके सामने मौत को गले लगाने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता। लिमतुर टोला की बदहाली का आलम यह है कि यहां न तो सांसद आते हैं और न ही क्षेत्रीय विधायक सह मंत्री जोबा माझी आती हैं। ग्रामीणों ने कहा लगता है कि शायद लिमतुर टोला झारखंड के मानचित्र से ही बाहर है। तभी तो इस पिछड़े टोले का विकास नहीं किया जा रहा। ग्रामीणों ने राज्य सरकार से कोयना नदी में पुल का निर्माण जल्द कराने की मांग की। कोयना नदी पर पुल निर्माण का मुद्दा लगातार उठाती रही हूं। कोरोना काल के पूर्व मनोहरपुर प्रखंड कार्यालय में बीडीओ और डीसी के सामने लिमतुर टोले को अन्य गावों से जोड़ने के लिए नदी पर पुल निर्माण का मुद्दा उठा चुकी हूं। लेकिन समय के साथ-साथ सब ठंडे बस्ते में चला गया। पुल का निर्माण नहीं होने से वर्षाकाल में टोला में भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो जाती है। नदी में बहाव तेज होने से लोग पार नहीं हो पाते हैं। जरुरत की हर चीज नदी पार मिलती है। इसलिए कोयना नदी में पुल का निर्माण हो जाने से लिमतुर टोले वालों का संपर्क अन्य स्थानों से जुड़ जाएगा।

अल्विना कंडुलना, पंचायत समिति सदस्य

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सबसे बड़ी समस्या कोयना नदी पर पुल का न होना। पुल का निर्माण नहीं होने से टोले के लोगों के समक्ष वर्षाकाल के दिनों में खाने पीने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। यदि किसी की तबीयत खराब होने पर इलाज भी नहीं करा पाते, क्योंकि नदी में पानी का बहाव तेज होता है। जिसके चलते पार नहीं जा सकते। कुछ लोगों की जान भी चली गई है। पुल का निर्माण अत्यंत जरूरी है, इसलिए सरकार को कोयना नदी में पुल के निर्माण के लिए अविलंब कदम उठाना चाहिए।

राजकुमार लोहार, ग्रामीण

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नदी पर पुल का निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों के समक्ष वर्षाकाल में भूख से मरने कि नौबत उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि दुकानें नदी के पार हैं। बाढ़ आने पर नदी का रूप विकराल हो जाता है, नदी पार होने का मतलब है जान को जोखिम में डालना। लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पुल बना होता तो लोगों के आवागमन में सहूलियत होती।

सपनी पूर्ति, ग्रामीण

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