अतिक्रमण के जाल में फंसकर भीम तालाब पड़ गया कमजोर

पिछले कुछ वर्षों से बारिश के अभाव में तालाब नदी व पोखर सूखते चले गए लेकिन न तो समुदाय ने इस ओर ध्यान दिया और ना ही प्रशासनिक तंत्र।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 06:43 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 06:43 PM (IST)
अतिक्रमण के जाल में फंसकर भीम तालाब पड़ गया कमजोर
अतिक्रमण के जाल में फंसकर भीम तालाब पड़ गया कमजोर

जागरण संवाददाता, चाईबासा : पिछले कुछ वर्षों से बारिश के अभाव में तालाब, नदी व पोखर सूखते चले गए लेकिन न तो समुदाय ने इस ओर ध्यान दिया और ना ही प्रशासनिक तंत्र। सूखे तालाब और पोखर इस दौरान अतिक्रमणकारियों की नजरों में आ गए और उन पर कब्जा शुरू हो गया। ना कोई रोकने वाला और ना कोई टोकने वाला। जिसको जहां मौका मिला, वहीं अपनी झोपड़ी खड़ी कर ली। अगर किसी ने दबी जुबान से विरोध के स्वर निकालने की कोशिश की तो उसे केस-मुकदमें में फंसा देने की धमकी देकर खामोश कर दिया गया। अगर आज सभी जिले के सभी तालाबों, पोखरों व नदियों को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त करा लिया जाए और उनमें जल संचय की व्यवस्था हो जाए तो इस जिले में गर्मी के मौसम में भी पीने के पानी की किल्लत नहीं होगी। चाईबासा शहर के न्यू कॉलोनी नीमडीह में भीम तालाब (भीम सोलंकी) बहुत ही पुराना तालाब है। इस तालाब की नियाद लगभग 100 वर्ष से अधिक की होगी। भीम सोलंकी जब तालाब चलाने में असमर्थ थे, तो उन्होंने महेंद्र निषाद को बेच दिया। महेंद्र निषाद जब तक जीवित थे, यहां पर मछली पालन का काम होता था। लेकिन जब से महेंद्र निषाद की मौत हो गई, तालाब रखरखाव के अभाव में पूरी तरह से सिकुड़ गया है। तालाब जनवरी माह में ही पानी पूरी तरह से सूख जाता है, जिससे न्यू कालोनी नीमडीह एरिया में पानी की भारी किल्लत यहां निवास करने वाले लोगों को होती है। क्योंकि इस एरिया में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का सप्लाई पाइप ही नहीं बिछा और न ही पानी आता है। गर्मी के दिनों में बोरिग व चापाकल जवाब देने लगते हैं। साथ ही तालाब के चारों ओर झाड़ियों की वजह से तालाब का आकार छोटा हो गया है और स्थानीय लोग अतिक्रमण करने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं। पहले पूरे इलाके का पानी इसमें आकर गिरता था, लेकिन अतिक्रमण के कारण पानी आना बंद हो गया। छोटी-छोटी पुलिया भी थी जो अतिक्रमण के कारण बंद हो गई। स्थानीय लोग अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं देंगे तो आने वाले दिनों में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। क्योंकि जब पानी रुकेगा ही नहीं, तो जलस्त्रोत कहां से ऊपर आएगा। इसलिए तालाबों को सुरक्षा देना सभी का दायित्व है।

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