सुखराम का हवाला देकर ज्वाला व लक्ष्मी ने भी चुनाव आयुक्त का खटखटाया दरवाजा

निर्वाची पदाधिकारी जगन्नाथपुर स्मृता कुमारी के कार्यालय में 19 नवंबर को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भरने वाले दो प्रत्याशी भारतीय आजाद सेना के ज्वाला कोड़ा व जदयू के लक्ष्मीनारायण गागराई की स्क्रूटनी के दौरान नामांकन रद होने के बाद चुनाव आयुक्त झारखंड का दरवाजा खटखटाया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 08:33 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 08:33 PM (IST)
सुखराम का हवाला देकर ज्वाला व लक्ष्मी ने भी चुनाव आयुक्त का खटखटाया दरवाजा
सुखराम का हवाला देकर ज्वाला व लक्ष्मी ने भी चुनाव आयुक्त का खटखटाया दरवाजा

संवाद सूत्र, जगन्नाथपुर : निर्वाची पदाधिकारी जगन्नाथपुर स्मृता कुमारी के कार्यालय में 19 नवंबर को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पर्चा भरने वाले दो प्रत्याशी भारतीय आजाद सेना के ज्वाला कोड़ा व जदयू के लक्ष्मीनारायण गागराई की स्क्रूटनी के दौरान नामांकन रद होने के बाद चुनाव आयुक्त झारखंड का दरवाजा खटखटाया है। इस संबंध में बुधवार को ज्वाला कोड़ा और लक्ष्मीनारायण ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को फैक्स के माध्यम से आवेदन भेजा है। इसमें इन्होंने बताया है कि जिस तरह चक्रधरपुर विधानसभा के झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी सुखराम उरांव का नामांकन पर्चा स्क्रूटनी के बाद निर्वाची पदाधिकारी ने होल्ड पर रख कर दूसरे दिन 11 बजे तक संबंधित कागजात निर्वाची कार्यालय में जमा करने के लिए समय दिया था। ठीक उसी तरह हमें भी अपने नामांकन पर्चा में स्क्रूटनी के दौरान निर्वाची पदाधिकारी द्वारा पाई गई त्रुटियों को पूरा करने के लिए समय दिया जाए। इधर निर्वाची पदाधिकारी के कार्यालय में मुख्य निर्वाचन आयुक्त झारखंड को भेजे गए आवेदन की प्रतिलिपि निर्वाची पदाधिकारी जगनानाथपुर को भी दी गई है। अनुमंडल कार्यालय से निकलने के बाद ज्वाला कोड़ा व लक्ष्मीनारायण गागराई ने कहा कि हमने अपनी समस्या लिखित रूप से मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भेजी है साथ ही निर्वाची पदाधिकारी को भी कॉपी दी गई है। हमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर भरोसा है। नेताओं ने कहा कि हमारे नामांकन पर्चा में कोई गंभीर त्रुटि नहीं थी। बस कई कॉलम में हमने जबाब गाईडलाईन अनुसार नहीं दिया है जिस कारण नामांकम रद हुआ है। इधर जानकारी हो कि चक्रधरपुर के झामुमो प्रत्याशी सुखराम उरांव का नामांकन पर्चा संबंधित कागजात जमा होने के बाद निर्वाची पदाधिकारी चक्रधरपुर ने स्वीकार कर लिया है।

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