कार सेवकों ने लगाए जय श्रीराम के नारे

पांच अगस्त को प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में पुरषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह होगा। इस समारोह को लेकर बड़बिल के श्रीराम भक्तों में भी उत्साह का माहौल है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 08:18 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 08:18 PM (IST)
कार सेवकों ने लगाए जय श्रीराम के नारे
कार सेवकों ने लगाए जय श्रीराम के नारे

संवाद सूत्र, बड़बिल : पांच अगस्त को प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में पुरषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह होगा। इस समारोह को लेकर बड़बिल के श्रीराम भक्तों में भी उत्साह का माहौल है। सोमवार को बड़बिल नगर के सुंदरा बस्ती में अवस्थित मां तारिणी गोशाला के सभागृह में अपनी स्मृति को साझा करने पहुंचे नगर के नौ कारसेवकों दिलीप कुमार मिश्रा, राम कुमार प्रसाद, तरुण नाग, शिवा करुआ, सांतनु पात्रा, लालिद्र बूढ़ा, गुना राव संतोष मोहंती और प्रकाश प्रधान के मुख पटल पर विजय के भाव साफ झलक रहे थे। वर्ष 1990 में कार सेवकों के रूप में अयोध्या कूच करने के बारे में दिलीप कुमार मिश्रा ने बताया कि उस समय बजरंग दल जिला अध्यक्ष होने के नाते बड़बिल के 25 सहित सैकड़ों लोग उनके नेतृत्व में कारसेवकों के रूप में अयोध्या के लिए निकल पड़े थे। 19 अक्टूबर 1990 को बड़बिल से रेलगाड़ी के माध्यम से टाटानगर पहुंचने के बाद पुलिस द्वारा सुझाए गए तरीके से बचते-बचाते किसी प्रकार मुगलसराय पहुंचे जहां हमें कुछ समय के लिए गिरफ्तार कर छोड़ दिया गया और हम कारसेवक बनारस के लिए चल पड़े। बनारस में क‌र्फ्यू जारी होने के कारण अश्वमेध घाट से हमें गिरफ्तार कर सेवापुरी कारागार में भर दिया गया जहां देर रात कारसेवकों द्वारा दीवार तोड़कर भागने के समय हम सभी भागकर वापस मुगलसराय वापस लौटे और मुगलसराय से पुन: जाने के समय जाफराबाद में गिरफ्तार कर छोड़ देने के बाद 180 किमी दूर, खेतों की पगडंडियों पर चलकर 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे थे। रास्ते में गांव वालों से मिलने वाले प्यार सहानभूति, भोजन सहित विश्राम के लिए जगह आज भी स्मृति में एक सुखद अनुभव के आधार पर जीवित हैं। 500 वर्षों से मंदिर निर्माण के लिए एक चुनौती का हिस्सा बनना और 30 वर्ष के बाद रामलाला के जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास समारोह की सूचना देश भर के सभी राम भक्तों के लिए युद्ध में विजयी से कम नहीं है।

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