आजीविका कौशल सेंटर में युवा प्रशिक्षण लेकर बनेंगे आत्मनिर्भर

पश्चिमी सिंहभूम जिले के झींकपानी व टोंटो प्रखंड क्षेत्र के युवाओं के लिए एसीसी सीमेंट झींकपानी की ओर से एक अच्छा विकल्प तैयार किया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 06:00 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 06:00 PM (IST)
आजीविका कौशल सेंटर में युवा प्रशिक्षण लेकर बनेंगे आत्मनिर्भर
आजीविका कौशल सेंटर में युवा प्रशिक्षण लेकर बनेंगे आत्मनिर्भर

जासं, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के झींकपानी व टोंटो प्रखंड क्षेत्र के युवाओं के लिए एसीसी सीमेंट झींकपानी की ओर से एक अच्छा विकल्प तैयार किया गया है। इसमें स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण तो मिलेगा ही, साथ में स्वरोजगार की ओर इनके हाथ बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए गुरुवार को एसीसी सीमेंट कंपनी की ओर से सीएसआर के तहत लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से दिशा सेंटर सह कौशल आजीविका सेंटर का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चाईबासा के पिल्लई हॉल से ऑनलाइन उद्घाटन किया। इस मौके पर एसीसी सीमेंट कंपनी के एमडी श्रीधर बालकृष्णन, सीएमओ रजत पुष्टि, एसीसी सीमेंट कंपनी झींकपानी प्लांट हेड राज गुरुंग व सीएसआर हेड ललित विश्वाल के अलावा अन्य पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित थे। सीएसआर हेड ललित विश्वाल ने बताया कि यहां पर प्रति वर्ष 400 से 500 युवा प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार अपना सकेंगे। दिशा सेंटर व कौशल आजीविका सेंटर में पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं को प्रशिक्षण देकर सीधे स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। अभी तक देखा गया कि युवा जैसे ही 18 वर्ष अपना पूरा करता है तो दूसरे राज्य की ओर पलायन के लिए निकल पड़ता है। अब इन युवाओं को दूसरे राज्य जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इन युवाओं के लिए दिशा सेंटर व कौशल आजीविका सेंटर में ही प्रशिक्षण मिल जाएगा। प्रशिक्षण के बाद ये युवा नौकरी के अलावा स्वयं का एक प्लेटफार्म मिल जाएगा और आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार का हाथ बढ़ाएंगे।

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ईचा डैम पर कुछ नहीं बोले सीएम : मुकेश

जासं, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम में उद्योगों की स्थापना के बयान पर आदिवासी हो समाज के पूर्व महासचिव मुकेश बिरुवा ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का चाईबासा आकर ईचा डैम के संबंध में कुछ बात ना करके आदिवासियों को विस्थापित करने वाले इस्पात उद्योग की बात करना चौंकाने वाली बात हुई। ईचा डैम को रद्द करने की शर्त पर कोल्हान के हो आदिवासियों ने समर्थन दिया था, उस पर एक शब्द नहीं कहने से हो समाज ठगा सा महसूस कर रहा है। जिन मुद्दों पर समाज एकजुट होता है, जल, जंगल और •ामीन उस पर हेमंत सोरेन को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ेगी। ऐसा नहीं होने की स्थिति में हो समुदाय विरोध की रणनीति पर कार्य करेगा।

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