अपनी आजादी को हुए 73 वर्ष, अब भी पानी-बिजली का संघर्ष

वाचस्पति मिश्र सिमडेगा भारत को आजाद हुए भले ही 73 वर्ष गुजर गएलेकिन आदिवासी बहुल्य इलाक

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 11:05 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 06:16 AM (IST)
अपनी आजादी को हुए 73 वर्ष, अब भी पानी-बिजली का संघर्ष
अपनी आजादी को हुए 73 वर्ष, अब भी पानी-बिजली का संघर्ष

वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा : भारत को आजाद हुए भले ही 73 वर्ष गुजर गए,लेकिन आदिवासी बहुल्य इलाका सिमडेगा जिले में विकास की गति अपेक्षाकृत रफ्तार नहीं पकड़ सकी। इस वजह से आज भी जिले में रहने वाले बहुसंख्य आबादी के जीवन स्तर में अपेक्षित बदलाव नहीं आ सका। जिले की बड़ी आबादी गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी आदि की आजादी से मुक्त होने के लिए छटपटा रही है। पेयजल एवं बिजली की समस्या भी यहां आए दिन उभरकर सामने आती है। विभागीय जानकारी के मुताबिक जिले में अभी भी करीब 1000 टोले ऐसे हैं, जहां बिजली जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है। यहां का कार्य आज भी लंबित है। पेयजल की समस्या भी यहां के प्रमुख समस्याओं में से एक है। यहां तक कि शहर की अधिकांश आबादी ही शुद्ध पेयजल की सेवा से वंचित है। पेयजल आपूर्ति की योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है। विदित हो कि 6 लाख से अधिक की आबादी वाले सिमडेगा जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि है। सिमडेगा में कृषि क्षेत्र में कार्य होने से न सिर्फ यहां के लोगों की आर्थिक उन्नति होगी, बल्कि बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। बागवानी खेती इसका अनुपम उदाहरणों में से एक है। यहां के लोग आम,लीची, पपीता,अमरूद आदि की खेती कर अर्थोपार्जन करते हैं। अगर इस क्षेत्र में किसानों को प्रोत्साहित व मदद किया जाए तो किसानों को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।जिले में 80 हजार से अधिक महिलाएं ग्रुप बनाकर अर्थोपार्जन की गतिविधियां कर रहीं हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रकृति ने भले ही सिमडेगा की धरती के अंदर खनिज संपदा नहीं दी हो, पर यहां की धरा कई मामलों में उर्वर जरूर रही है। यहां के प्रमुख वनोत्पादों में शामिल चिरौंजी व कटहल दूसरे राज्यों में भी मशहूर है। लाह भी बहुतायत के तौर पर बाहरी राज्यों में भेजा जाता है। जिससे विभिन्न प्रकार के उपकरण एवं खिलौने बनाए जाते हैं। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि सिमडेगा जिले में भी कई संभावनाएं विद्यमान हैं।

बस उसे जानने व पहचानने की जरूरत है।साथ ही उसके अनुरूप कार्य करने की

जरूरत है। सिमडेगा जिला पर्यटन व खेल के लिहाज से भी अधिक महत्वपूर्ण रहा है। जहां प्राचीन काल से ही भगवान श्रीराम का आश्रय स्थल रही श्रीरामरेखाधाम

का अपना अलग महत्वपूर्ण है।यहीं कारण है कि इस स्थल का विकास का जिम्मा केन्द्र सरकार ने उठाया है। ऐसे में केन्द्र व राज्य सरकार के योगदान से धाम में विकास के कार्य किए जाते हैं तो ये झारखंड में भगवान राम से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र के रूप में उभर सकता है। जहां सालो भर लाखों की संख्या में पर्यटक आते रहेंगे। जिससे यहां के लोगों को भी रोजगार का पूरा अवसर मिलेगा। खेल के क्षेत्र में सिमडेगा की कोई सानी नहीं है। यहां हॉकी रग-रग में रची-बसी है। यहां के खिलाड़ियों ने ओलंपिक से लेकर कई राष्ट्रीय व

अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी दमदार प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।सिल्बानुस डुंगडुंग,माइकिल किडो, असुंता लकड़ा, मसीह दास बा:, कांति बा:आदि ने खेल मैदान में अपना लोहा मनवाया है।आज सिमडेगा में चतुर्दिक विकास की काफी संभावना है। बस सहीं संकल्प एवं इच्छाशक्ति के साथ कार्य की जरूरत है।

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