देश के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ी जाएगी एनएच 143 सड़क : अर्जुन मुंडा
संसू, कोलेबिरा,(सिमडेगा):जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा ने शुक्रवार
संसू, कोलेबिरा,(सिमडेगा):जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा ने शुक्रवार को कोलेबिरा से झारखंड सीमा बांसजोर तक 74 किमी एनएच 143 सड़क के सु²ढ़ीकरण कार्य का शिलान्यास किया। उक्त कार्यक्रम कोलेबिरा प्रखंड के देव नदी के समीप किया गया। मौके पर विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी, विधायक भूषण बाड़ा समेत जिले के आला अधिकारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह योजना भारतमाला प्रोजेक्ट में सम्मिलित है। इसके तहत सड़क को देश के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। भारतमाला योजना में सड़क के सु²ढ़ीकरण के साथ-साथ चौड़ीकरण के लिए भी केंद्र ने स्वीकृति प्रदान की है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि दुनिया के लोग अभी भी कोरोना चुनौती का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब हम बात करते हैं तब 11 हजार ड्रॉपलेट बाहर आते हैं, जब छींकते हैं तो 40 हजार से अधिक ड्रॉपलेट बाहर आते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी जागरूकता से कोरोना संक्रमण रुकेगा। इस बीमारी से हमलोगों को बचना और बचाना है। लोग हमेशा मास्क का उपयोग करें। सांसद ने बताया कि उन्हें भी कोरोना जांच कराकर रिपोर्ट सौंपनी है। इसके बाद ही संसद में जाने की अनुमति उन्हें मिलेगी। 70 लघु वनोत्पाद पर समर्थित मूल्य दे रही केंद्र सरकार
सिमडेगा:केंद्रीय मंत्री ने कहा उनका मंत्रालय 70 लघु वनोत्पाद पर समर्थित मूल्य दे रहा है। पहले 12 उत्पादों पर ही यह नियम लागू था। हालांकि उन्हें अफसोस है कि झारखंड की सरकार ने केंद्र से आवंटित 60 करोड़ रुपये का सदुपयोग नहीं किया। जबकि पूरे देश भर
में 3000 करोड़ रुपये के वनोत्पाद की खरीदारी हुई। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से भी कहा है कि इस दिशा में बेहतर कार्य कराएं, जिससे कि ग्रामीण आदिवासियों को समुचित लाभ व मदद मिल सके। इसके लिए राशि की कमी नहीं होने दी जाएगी। सरकार चाहे तो सालों
भर के लिए खरीदारी कर सकती है। नवोदय विद्यालय की तर्ज पर हर प्रखंड में एकलव्य मॉडल स्कूल बनाया जा रहा है। इसके लिए 20 हजार करोड़ का प्रविधान किया गया है। वन पट्टा को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं। इसे लेकर ग्राम सभा को अधिकार दिया गया गया है। इससे आदिवासी भी सुरक्षित रहेंगे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।