आवंटन अभाव में नहीं हुई तसर कोसा की खरीदारी
आवंटन के अभाव में इस बार कोल्हान के दो अग्र परियोजना केंद्र खरसावां व हाट गम्हरिया में तसर बीज कोए (कोसा) की खरीदारी तसर किसानों से नहीं हो पाई। कोल्हान में खरसावां पीपीसी छह लाख व पश्चिमी सिंहभूम जिला के हाट गम्हरिया पीपीसी में चार लाख तसर बीज कोए (कोसा) की खरीदारी करने व बीजागार में रखकर रोग मुक्त चक्कतों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है..
संवाद सूत्र, खरसावां : आवंटन के अभाव में इस बार कोल्हान के दो अग्र परियोजना केंद्र खरसावां व हाट गम्हरिया में तसर बीज कोए (कोसा) की खरीदारी तसर किसानों से नहीं हो पाई। कोल्हान में खरसावां पीपीसी छह लाख व पश्चिमी सिंहभूम जिला के हाट गम्हरिया पीपीसी में चार लाख तसर बीज कोए (कोसा) की खरीदारी करने व बीजागार में रखकर रोग मुक्त चक्कतों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। एक तसर बीज कोए (कोसा) की कीमत लगभग दो रुपये निर्धारित की गई है। साथ ही तसर बीज कोए (कोसा) को बीजागार में रखने के लिए अलग से खर्च होगी। इन दोनों केंद्रों में तसर बीज कोए (कोसा) की खरीदारी से लेकर ग्रेनेज कार्य पर कम से कम 22 लाख रुपये खर्च होंगे। परंतु विभाग की ओर से इस वर्ष राशि ही आवंटित नहीं किया गया है। कोए की खरीदारी नहीं हुई तो दूसरे चरण की तसर की खेती भी होगी प्रभावित
मौसम अनुकूल होने के कारण इस वर्ष खरसावां, कुचाई, हाट गम्हरिया क्षेत्र में काफी मात्रा में तसर बीज कोए (कोसा) का उत्पादन हुआ है। हर वर्ष बीजागार के लिए कोए की खरीदारी 16 अगस्त से प्रारंभ हो जाती थी। यदि समय पर बीज कोए की खरीदारी नहीं हो पाई, तो दूसरे चरण के तसर की खेती पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। खरसावां व हाट गम्हरिया पीपीसी में 10 लाख बीज कोए का बीजागार किया जाता है। इसके बाद डीएफएल का उत्पादन कर इन दोनों पीपीसी के कमांड क्षेत्र में लगभग एक हजार न्यूक्लियस बीज कीटपालकों के माध्यम से कीट पालन कराया जाता है। इससे लगभग एक करोड़ बीज कोए तैयार कर इसका बीजागार किया जाता है। बीजागार से उत्पादित डीएफएल सभी रेशमदूतों को आपूर्ति की जाती है। उसके बाद पुन: वाणिज्यिक फसल तैयार होता है। अग्र परियोजना पदाधिकारी असमंजस की स्थिति में हैं। यदि द्वितीय बीजागार के लिए कोए का क्रय किया गया तो सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण भुगतान करना संभव नहीं हो पाएगा। किसान अपने कोए के भुगतान के लिए परेशान होंगे। यदि द्वितीय बीजागार नहीं किया गया तो क्षेत्र में कोए का उत्पादन ठप हो जाएगा।