सादेबुरु पाट में आदिवासी परंपरा से पूजी जाएंगी मां आकर्षणी व मां पाऊड़ी

अलौकिकता के बीच मां आकर्षणी मां पाऊड़ी रागड़ा पाट सादेबुरु पाट व कृष्णा साड़ी मां की संयुक्त पूजा दो फरवरी से सादेबुरु पाट में आदिवासी परंपरा के साथ शुरू होगी। एक फरवरी को 101 कलशों की भव्य कलश यात्रा निकालकर पुजारिन मंजरी देवी व पुजारी सोहन सिंह सरदार मंत्रोच्चार के बीच माता का आह्वान करेंगे..

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 05:55 PM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 05:55 PM (IST)
सादेबुरु पाट में आदिवासी परंपरा से पूजी जाएंगी मां आकर्षणी व मां पाऊड़ी
सादेबुरु पाट में आदिवासी परंपरा से पूजी जाएंगी मां आकर्षणी व मां पाऊड़ी

जागरण संवाददाता, सरायकेला : अलौकिकता के बीच मां आकर्षणी, मां पाऊड़ी, रागड़ा पाट, सादेबुरु पाट व कृष्णा साड़ी मां की संयुक्त पूजा दो फरवरी से सादेबुरु पाट में आदिवासी परंपरा के साथ शुरू होगी। एक फरवरी को 101 कलशों की भव्य कलश यात्रा निकालकर पुजारिन मंजरी देवी व पुजारी सोहन सिंह सरदार मंत्रोच्चार के बीच माता का आह्वान करेंगे। उसके बाद विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। खरसावां प्रखंड के सिदाडीह गांव के रायडीह टोला स्थित पूजा स्थल सादेबुरु पाट पर परंपरा के साथ पूजा का शुभारंभ करने के लिए सोमवार को विभिन्न गांव के ग्रामीणों के साथ सामूहिक बैठक की गई। सिदमाकुदर स्थित विद्यालय में बीटापुर पंचायत की मुखिया रानी हेंब्रम की अध्यक्षता में बैठक की गई। बैठक में 12 बिंदुओं का प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मोहितपुर पंचायत की मुखिया सूर्यमनी हेंब्रम समेत मंगला उरांव, रहिद्र सरदार, धनेश्वर राऊतिया, हीरा सरदार, दीपक जामुदा, लादुरा सरदार, भूतपूर्व सैनिक शंकर सोय, विभिन्न गांव के ग्राम प्रधान समेत 70 ग्रामीण उपस्थित थे। पूजा समिति का चुनाव छह दिसंबर को : पूजा समिति का चुनाव छह दिसंबर को होगा। उसके बाद प्रत्येक रविवार को समिति की बैठक की जाएगी। एक फरवरी के पूजा कार्यक्रम में जिला प्रशासन समेत गणमान्य लोगों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया। पूजा स्थल तक सुगम आवागमन की व्यवस्था के लिए ग्रामीण श्रमदान कर रास्ता व पेयजल की व्यवस्था करेंगे। अलौकिकता के साथ है माता का आगमन : पुजारिन मंजरी देवी पिछले छह वर्षों से माता की आराधना कर रही हैं। पिछले एक माह से उन्हें स्वप्न में पूजा के लिए उन्हें माता का निर्देश मिल रहा है। अलौकिकता की बात मानें तो जंगल से घिरे इस क्षेत्र में भालू व सांपों समेत अन्य जंगली जानवरों का बसेरा पूर्व से ही रहा है। बताया जा रहा है कि शिकार के क्रम में घायल हुए जंगली जानवर संबंधित स्थल पर शरण लेते हैं। उसके बाद घायल जंगली जानवर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। पूर्व के समय से ही क्षेत्र में माता का वास और मां की कृपा प्रत्यक्ष रही है। पिछले एक माह से पुजारिन मंजरी देवी को माता स्वप्न में पूजा का निर्देश दे रही हैं। विभिन्न गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक कर आदिवासी परंपरा से माता की नियमित पूजा-अर्चना करने का सामूहिक निर्णय लिया गया है।

-सोहन सिंह सरदार, पुजारी।

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