महाप्रभु जगन्नाथ ने किया महास्नान, पुरोहितों ने की पूजा

पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर गुरुवार को सादगी के साथ महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया। कोविड-19 के कारण लगातार दूसरे साल भी मंदिरों में भक्तों की भीड़ नहीं हुई..

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 07:10 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:10 AM (IST)
महाप्रभु जगन्नाथ ने किया महास्नान, पुरोहितों ने की पूजा
महाप्रभु जगन्नाथ ने किया महास्नान, पुरोहितों ने की पूजा

संवाद सूत्र, खरसावां : पवित्र देवस्नान पूर्णिमा पर गुरुवार को सादगी के साथ महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान कराया गया। कोविड-19 के कारण लगातार दूसरे साल भी मंदिरों में भक्तों की भीड़ नहीं हुई। मात्र दो-चार पुरोहित व श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा कर रश्म अदायगी की। राजपुरोहित अंबुजाख्यो आचार्य व मंदिर के पुजारी राजराम सतपथी ने स्नान यात्रा पर प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के प्रतिमाओं को मंदिर से बाहर निकाला। उसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की। महास्नान के बाद तीनों प्रतिमाओं को मंदिर के अंदर ले जाकर रखा गया। इस दौरान खरसावां राजपरिवार के राजमाता विजया देवी, राजा गोपाल नारायण सिंहदेव, रानी अपराजिता सिंहदेव, पं राकेश दास, विजय महतो, सुशील षाडं़गी, सुमंत मोहंती समेत कई श्रद्धालु उपस्थित थे। स्नान मंडप में जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन ने किया स्नान : हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिरों में पुरोहित पंडित प्रदीप कुमार दास व पंडित भरत त्रिपाठी ने कोविड गाइडलाइन का पालन कर सभी रश्मों को निभाया। यजमान के रूप में हरिभंजा के जमींदार विद्या विनोद सिंहदेव ने पुरोहितों के साथ प्रभु जगन्नाथ बलभद्र व देवी सुभद्रा को 108 कलश पानी से महास्नान कराया। प्रभु जगन्नाथ को 35 कलश, बडे़ भाई बलभद्र को 42 कलश, बहन सुभद्रा को 20 कलश व सुदर्शन को 11 कलश पानी से स्नान कराया गया। इसके अलावा अगुरु, चंदन, गाय का घी, दूघ, दही, मधु, हल्दी आदि का लेप भी लगाया गया। परंपरा के अनुसार अत्यधिक स्नान कर भगवान बीमार हो गए हैं। उपचार के लिए उन्हें मंदिर के अणसर गृह में रखा गया है। 15 दिनों तक प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा का अलग-अलग प्रकार के जड़ी-बूटी से उपचार किया जाएगा। इन 15 दिनों में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के दर्शन नहीं होंगे। रथयात्रा के तीन दिन पूर्व नौ जुलाई को नेत्र उत्सव व दस जुलाई को नव यौवन रूप में प्रभु अपने भक्तों को दर्शन देंगे। 12 जुलाई को वार्षिक रथयात्रा है।

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