अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज से सम्मानित हुई खरसावां हल्दी

खरसावां प्रखंड के रायजेमा गांव में किसानों द्वारा उपजाई जा रही हल्दी को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज सम्मान से सम्मानित किया गया है। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड के 34वां स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज से सम्मानित किया गया..

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 07 Aug 2021 06:00 AM (IST)
अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज से सम्मानित हुई खरसावां हल्दी
अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज से सम्मानित हुई खरसावां हल्दी

जागरण संवाददाता, सरायकेला/खरसावां : खरसावां प्रखंड के रायजेमा गांव में किसानों द्वारा उपजाई जा रही हल्दी को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज सम्मान से सम्मानित किया गया है। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड के 34वां स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अवार्ड फॉर इनोवेटिव प्रोडक्ट आइडियाज से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ऑनलाइन जुड़े। रायजेमा के ग्रामीणों का यह उत्पाद देश भर में ट्राइफेड के आउटलेट पर उपलब्ध है। रायजेमा के किसानों को एकजुट कर उत्पाद की प्रोसेसिग कराई जा रही है। ग्रामीणों को पैकेजिग मटेरियल भी दिया गया है। पैकिग के लिए मशीन भी दी गई है। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों से सहयोग लिया जा रहा है। रायजेमा व आसपास के गांवों में बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती की जाती है। यहां के किसान आज भी पोईला (एक प्रकार का हल्दी मापन का पत्र) से हल्दी बेचते थे। ट्राइफेड के माध्यम से ग्रामीणों को हल्दी की अच्छी कीमत मिल रही है। बताया जा रहा है कि किसान बिना किसी रासायनिक खाद के 60-65 सालों से हल्दी की खेती करते आ रहे हैं। रायजेमा गांव के लगभग सभी घरों के लोग हल्दी की खेती करते हें। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्राइफेड को रायजेमा गांव जाकर हल्दी देखने व सहयोग करने का निर्देश दिया था। इसके बाद ट्राइफेड की टीम गांव पहुंची ओर हल्दी का अवलोकन किया तो पाया कि हल्दी अच्छी है। इसके बाद ट्राइफेड की ओर से महिला स्वयं सहायता समूह को हल्दी पाउडर की पैकेजिंग का सामान उपलब्ध कराया गया। गांव में पहले से ही एक कुटाई मशीन थी। उसी कुटाई मशीन से पाउडर बनाने का आग्रह किया गया है। रांची के सरकारी फूड लैब में हल्दी पाउडर की जांच भी कराई गई थी। उत्पाद की गुणवत्ता सामान्य हल्दी से काफी अच्छी पाई गई थी। आम तौर पर हल्दी में दो प्रतिशत के आसपास करक्यूमिन होता है। परंतु इस हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा सात प्रतिशत से भी अधिक थी। गांव के लोगों को ट्राइफेड आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी कर रहा है। ट्राइफेड की ओर से बाजार की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। रायजमा गांव में उत्पादित हल्दी देश के कई सेंटरों पर बिक्री की जाएगी। बताया जा रहा है कि पहले ग्रामीण 80 रुपया पोईला के हिसाब से हल्दी बेचते थे। प्रोसेस करने के बाद 100 से लेकर 700 ग्राम तक के पैक तैयार कराए जा रहे हैं। 100 ग्राम हल्दी पाउडर की कीमत 35, 250 ग्राम की कीमत 80, 500 ग्राम की कीमत 145 व 700 ग्राम की कीमत 190 रुपये रखी गई है। क्या है करक्यूमिन : हल्दी में सक्रिय तत्व करक्यूमिन पाया जाता है। यह दर्द से आराम दिलाता है और दिल की बीमारियों से सुरक्षित रखता है। यह तत्व इंसुलिन लेवल को बनाए रखता और डायबिटीज की दवाओं के असर को बढ़ाने का काम करता है। हल्दी में अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट भी है। इसमें पाए जाने वाले फ्री रैडिकल्स डैमेज से बचाते हैं। रायजेमा समेत आसपास के गांव के किसानों की आर्थिक स्थिति हल्दी उत्पादन से बदल रही है। खरसावां-कुचाई के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर होती है हल्दी की खेती : खरसावां के रायजेमा से लेकर कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी पर बसे गांवों में बड़े पैमाने पर परंपरागत तरीके से हल्दी की खेती की जाती है। पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग हल्दी की खेती से जुड़े हुए हैं। पहाड़ी क्षेत्र हल्दी की खेती के लिए अनुकूल भी माना जाता है। किसान हल्दी के गांठ से लेकर पाउडर बनाने का कम करते हैं और हाट-बाजार में बेचते हैं। अब किसानों को हल्दी पाउडर की बिक्री के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म मिल गया है। इससे किसानों के साथ-साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा। चार किलो हल्दी के गांठ से एक किलो हल्दी का पाउडर तैयार होता है। रोजगार के नए अवसर के सृजन की आवश्यकता : अर्जुन मुंडा

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि अब तक प्राप्त उपलब्धियों से हमें और आगे बढ़ने का प्रयास करने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना में आदिवासी बहुल गावों की आधारभूत सुविधाओं को पूरा करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। ट्राईफेड को इन गावों से जोड़कर रोजगार के नए अवसर के सृजन की आवश्यकता है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से बातचीत कर उनका उत्साहव‌र्द्धन किया और उनकी आमदनी में वृद्धि की आशा व्यक्त की, ताकि वे स्वावलंबी बन सकें।

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