निश्चिंतपुर में चाड़री पाट पूजा आज, तैयारी पूरी

गम्हरिया प्रखंड स्थित बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में मकर संक्रांति के अवसर पर सार्वजनिक चाड़री पाट पूजा कमेटी की ओर से 15 व 16 जनवरी को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ दो दिवसीय चाड़री पाठ पूजा उत्सव का आयोजन होगा जिसकी तैयारी पूरी हो गई है। शुक्रवार को कुमारी पूजा के साथ चाड़री पाट पूजा होगा..

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 07:10 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 07:10 AM (IST)
निश्चिंतपुर में चाड़री पाट पूजा आज, तैयारी पूरी
निश्चिंतपुर में चाड़री पाट पूजा आज, तैयारी पूरी

जागरण संवाददाता, सरायकेला : गम्हरिया प्रखंड स्थित बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में मकर संक्रांति के अवसर पर सार्वजनिक चाड़री पाट पूजा कमेटी की ओर से 15 व 16 जनवरी को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ दो दिवसीय चाड़री पाठ पूजा उत्सव का आयोजन होगा, जिसकी तैयारी पूरी हो गई है। शुक्रवार को कुमारी पूजा के साथ चाड़री पाट पूजा होगा। हर वर्ष की भांति मकर सांक्रांति के दूसरे दिन अर्थात शुक्रवार की सुबह आठ बजे वन कुमारी देवी की पूजा-अर्चना के साथ चाड़री पूजा का शुभारंभ होगा। इसके बाद चाड़री पाठ कर पूजा-अर्चना, दर्शन व प्रसाद वितरण होगा। अपराह्न तीन बजे से बालक-बालिकाओं के बीच खेलकूद प्रतियोगिता व टुसू प्रदर्शनी का आयोजन होगा। प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। पहाड़ी की खोह में है चाड़री पाठ पूजा स्थल : गम्हरिया पंचायत स्थित बीरबांस पंचायत के निश्चिंतपुर में मकर के दूसरे दिन चाड़री पाट में वार्षिक चाड़री पाठ पूजा उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय व दूर-दराज के हजारों श्रद्धालु सुख-शांति व मन्नतें पूरी होने की कामना कर पूजा-अर्चना करते हैं। जानकारी के अनुसार, निश्चिंतपुर में मकर संक्रांति के दूसरे दिन आस्था व विश्वास के साथ चाड़री पाठ का आयोजन होता है, जिसमें तीन अलग-अलग पूजा स्थलों पर पारंपरिक रीति-रिवाज व संस्कृति के अनुसार भोला बाबा के रूप में भगवान शंकर, मां पाउड़ी व चाड़री मां और वन कुमारी की पूजा की जाती है। चाड़री पाठ उत्सव का शुभारंभ वन कुमारी की पूजा से शुरू होता है। चाड़री पाठ पर स्थानीय व आसपास के लोगों की आस्था है। उन्हें विश्वास है कि यहां आकर सत्य भावना के साथ पूजा-अर्चना करने पर मांगी गई मन्नतें पूरी होती हैं। चाड़री पाठ पूजा स्थल लगभग पांच सौ फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी की खोह में है, जहां पहुंचने के लिए दुर्गम रास्ता है। वनभूमि पर स्थित व चट्टानों की पहाड़ी होने के कारण पूजा स्थल तक जाने के लिए सुगम रास्ता नहीं है। पूजा स्थल तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को चट्टान व घने पेड़ो से होकर पथरीली जमीन पर नंगे पांव चलना पड़ता है। विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालु चाड़री पाठ में पूजा-अर्चना कर सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना करते हैं। चाड़री पाठ में बूढ़ा बाबा के रूप में भगवान शिव की तथा मां पावड़ी व चांड़री पाठ देवी की अलग-अलग पूजा स्थलों पर पूजा की जाती है। बूढ़ा बाबा की पूजा पुष्प, बेलपत्र व मिठाई के साथ की जाती है, जबकि पाउड़ी देवी एवं चाड़री पाठ देवी की पूजा में बकरे, बत्तख व मुर्गों की पूजा की जाती है। वन कुमारी देवी की पूजा कुंवारी कन्याएं करती हैं। लोगों में आस्था है कि कुमारी देवी की पूजा से कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है।

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