अपनों ने ही उजाड़ा घर, किसकी करें शिकायत

उधवा (साहिबगंज) राधानगर थाना से लगभग छह किलोमीटर दूर मोहनपुर पंचायत के खरदांग पहाड़

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 06:06 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:23 PM (IST)
अपनों ने ही उजाड़ा घर, किसकी करें शिकायत
अपनों ने ही उजाड़ा घर, किसकी करें शिकायत

उधवा (साहिबगंज) : राधानगर थाना से लगभग छह किलोमीटर दूर मोहनपुर पंचायत के खरदांग पहाड़ की तलहटी पर बसा आदिवासी बहुल गांव मेहंदीपुर है। यहां की आबादी लगभग पांच सौ है। पढ़ने पढ़ाने की रुचि कम है। लिहाजा आज भी यहां प्राचीन परंपराओं का बोलबाला है। अंधविश्वास की पराकाष्ठा है। इस कारण मंगलवार की रात एक आदिवासी वृद्ध महिला की हत्या डायन के संदेह में दी गई। इस घटना के बाद मेहंदीपुर गांव चर्चा में है।

सभी ग्रामीण घर के अंदर थे। हर कोई घटना से अन्जान बनने की कोशिश कर रहा था। डायन के संदेह में मारी गई मकलू चौड़े के घर से बाहर कुछ महिला थी। घटना के बारे पूछा तो बताया कि अपनों ने ही घर को उजाड़ा है। किसकी शिकायत करें। किसके लिए मातम मनाएं। सभी अपने थे।

एक महिला ने बताया कि सगी भाभी का सिर काटकर थाना तक पहुंचने वाले सकल टुडू व बाबूजी टुडू भाई हैं। कुछ दिन पहले ही बाबूजी टुडू अपने नए घर में रहने लगा था। सोमवार शाम को सकल टुडू के पुत्र स्वाधीन टुडू की बुखार से मौत हो गई। इस समय सकल टुडू की पत्नी घर में नहीं थी। वह मंगलवार शाम को घर लौटी। उसके आने की प्रतीक्षा में शव का दाह संस्कार नहीं किया गया था लेकिन अचानक से मृतक के परिवार में डायन बिसाही के संदेह का बीज अंकुरित हो गया।

हैवान बन गया था सकल

ग्रमीणों के बताया कि घटना को अंजाम देने के बाद सकल टुडू हैवान की तरह व्यवहार करने लगा। वह कटे हुए सिर हाथों में लेकर गांव में घुमा फिर थाना पहुंच गया। फिलहाल पुलिस ने घटना के संबंध में मृतक के पुत्र राम टुडू के बयान पर मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपित सकल टुडू को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।

मजदूरी पर निर्भर इनकी जीविका

उधवा- बरहड़वा मुख्य सड़क पर साल्टीपोखर मदिया सड़क पर बायीं ओर से कुछ दूरी तय करने पर खरदांग गांव आता है। वहां से कुछ ही दूरी तय करने पर पहाड़ की तलहटी में बसा गांव आता है मेहंदीपुर। यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि कार्य व मजदूरी है। प्रवासी मजदूरों में भी कुछ लोग शामिल हैं। महिलाएं भी बाहर काम करने जाती हैं। गांव में प्रवेश करने के बाद लगा कि यहां कुछ हुआ ही नहीं है।

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