मखाना की खेती से संवरेगी किसानों की किस्मत

संवाद सहयोगी उधवा (साहिबगंज) मखाना की खेती से अब जिले के किसानों की किस्मत संवरेगी। बिहा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 07:33 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:33 PM (IST)
मखाना की खेती से संवरेगी किसानों की किस्मत
मखाना की खेती से संवरेगी किसानों की किस्मत

संवाद सहयोगी, उधवा (साहिबगंज) : मखाना की खेती से अब जिले के किसानों की किस्मत संवरेगी। बिहार के मिथिलांचल में उपजाए जानेवाले मखाना की खेती अब यहां भी शुरू हो गई है। बरहड़वा प्रखंड के शुक्रवासिनी झील में लालू शेख नामक किसान ने कटिहार के किशनगंज के कुछ किसानों के साथ साझेदारी में मखाना की खेती शुरू की है। शुक्रवासिनी झील एनटीपीसी का है। किसान मछलीपालन के लिए उसे लीज पर लेते हैं। लालू का कहना है कि झील में सालोभर पानी रहता है। इसलिए इसमें बेहतर खेती हो सकती है। उन्होंने बताया कि उसके कुछ रिश्तेदार पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रतुआ में हैं। वहां रतुआ के साथ-साथ चांचल व हरिश्चंद्रपुर में भी मखाना की खेती होते देखा। इसके बाद उसके मन में भी खेती करने की इच्छा हुई। वहां उसकी मुलाकात कटिहार व किशनगंज के कुछ किसानों से हुई जिन्होंने खेती करने की इच्छा जताई। इसके बाद यहां के लोगों की सहमति से इसकी खेती शुरू की गई।

कहां व कब होती खेती : देश में 80 फीसदी मखाना की खेती बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में होती है। मखाने को तालाब, झील जैसे शांत पानी पर उगाया जाता है। पानी में खेती होने की वजह से इसमें कोई केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग नहीं होता है, इसलिए यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक फूड है। साहिबगंज जिला में साहिबगंज, तालझाड़ी, राजमहल, उधवा तथा बरहरवा में दर्जनों प्राकृतिक झील है जहां मखाना की खेती की अपार संभावनाएं हैं। मखाना के बीज दिसंबर से जनवरी के बीच में बोए जाते हैं। अप्रैल के महीने में पौधों में फूल उगने लगते हैं और जुलाई के महीने में फूल पानी की सतह पर तैरने लगते हैं। मखाने का फल काफी कांटेदार होते हैं इसलिए बाद में यह पानी के नीचे जाकर बैठ जाते हैं। करीब दो माह में सारे कांटे गल जाते हैं। इसके बाद किसान सितंबर से अक्टूबर के महीने में मखाने के फूलों को इकट्ठा कर लेते हैं। इसके बाद इसके बीजों को तेज धूप में सुखाया जाता है। साइज के अनुसार इसे अलग-अलग किया जाता है। इसके बाद प्लांट में मखाना तैयार किया जाता है। मखाना की खेती भारत के अलावा चीन, रूस, जापान और कोरिया में भी होती है। मणिपुर में इसके जड़कंद और डंठल की सब्जी भी बनाई जाती है।

किस इस्तेमाल में आता है मखाना : आमतौर पर मखाने का उपयोग पूजा-पाठ और व्रत के दौरान होता है, लेकिन कुछ लोग इसे अपनी डेली डाइट का हिस्सा बना लेते हैं। दरअसल, मखाना औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, कैल्शियम, मिनरल्स और कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। मखाने का सेवन करने से डायबिटीज से निजात पा सकते हैं। दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए मखाना काफी फायदेमंद होता है। मखाने का सेवन करने से पाचन क्रिया भी ठीक रहती है। मखाने का नियमित सेवन दिमागी तनाव को कम करता है। मखाने का रोजाना सेवन जोड़ों के दर्द को दूर करने में मदद करता है। इसके सेवन से किडनी भी मजबूत होती है। इसमें मीठे की मात्रा बहुत ही कम होती है इसलिए यह वजन कम करने में भी मदद करता है। मखाने के सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। मखाने में एंटी-एजिग तत्व होते हैं जो त्वचा को जवान रखने में काफी मदद करते है।

-------

शुक्रवासिनी झील में मखाना की खेती होने की जानकारी मुझे नहीं है। वैसे यहां मखाना की खेती हो सकती है। अब तो मखाना की नई वैराइटी भी आ गई है जिसे सामान्य खेतों में भी लगाया जा सकता है। इसकी खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं।

डॉ. अमृत कुमार झा, प्रधान विज्ञानी कृषि विज्ञान केंद्र साहिबगंज

chat bot
आपका साथी