70 हजार की इस आबादी को छू नहीं सका कोरोना

डॉ. प्रणेश साहिबगंज प्रकृति से निकटता आदिवासी पहाड़िया समुदाय के लोगों के लिए वरदान

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 12:36 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 12:36 AM (IST)
70 हजार की इस आबादी को छू नहीं सका कोरोना
70 हजार की इस आबादी को छू नहीं सका कोरोना

डॉ. प्रणेश, साहिबगंज : प्रकृति से निकटता आदिवासी पहाड़िया समुदाय के लोगों के लिए वरदान बन गई है। कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपाए है मगर यह उनके पास फटक नहीं सकी है। करीब 70 हजार की पहाड़िया आबादी वाले साहिबगंज जिले में अब तक एक भी पहाड़िया की मौत कोरोना से नहीं हुई है। नियमित हाट-बाजार जानेवाले दो-चार लोग संक्रमित मगर दवा खाकर ठीक भी हो गए। उनको अस्पतालों में भी भर्ती कराने की नौबत नहीं आई। बोरियो, बरहेट, मंडरो, पतना व तालझारी प्रखंड में पहाड़िया समुदाय की अच्छी आबादी है। हाल में पतना व तालझारी प्रखंड के कुछ पहाड़िया गांवों में अभियान चलाकर कोरोना जांच हुई, मगर एक भी संक्रमित नहीं मिला।

साहिबगंज में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक कोरोना से 37 लोगों की मौत हुई है। इनमें से कोई भी पहाड़िया समाज का नहीं है। आखिर इस समुदाय के सामने कोरोना क्यों नतमस्तक होता है इस पर विशेषज्ञों की अपनी राय है। उनका मानना है कि पहाड़िया समुदाय के लोगों का रहन-सहन, खानपान उनको कोरोना संक्रमण से बचाता है। ये समुदाय पहाड़ों पर जंगलों के बीच बसे गांवों में रहता है। गिलोय, चिरैता, नीम पत्ती और मधु का वे नियमित सेवन करते हैं। झरना व कुएं का पानी पीते हैं। इनके गांवों में आबादी भी काफी कम होती है। पहाड़िया गांव में बमुश्किल 20-25 घर होते हैं, आबादी भी सौ के आसपास। इससे शारीरिक दूरी का पालन भी होता है। तालझारी के सुंदर पहाड़िया कहते हैं कि पहाड़ों से लकड़ी काटकर बेचना हमारा मुख्य पेशा है। सप्ताह में दो से तीन दिन लकड़ी लेकर पहाड़ से उतरते हैं और बेचने के बाद वापस लौटते हैं। आठ से दस किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। इससे शारीरिक रूप से हमारे समुदाय के लोग मजबूत होते हैं। शायद ही किसी को हमारे समुदाय में मधुमेह व ब्लड प्रेशर की बीमारी हुई हो।

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पहाड़िया पहाड़ों पर पेड़-पौधों के बीच रहते हैं। उन्हें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिलती है। जो फेफड़े मजबूत करती है। वे खूब मेहनत करते हैं। इसलिए शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं। भीड़-भाड़ से दूर रहते हैं। गिलोय आदि के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है। संभवत: इसी वजह से कोरोना उनसे दूर है। तालझारी प्रखंड में करीब पांच सौ पहाड़िया लोगों की जांच की, उसमें एक भी संक्रमित नहीं मिला।

डॉ. रंजन कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तालझारी।

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