आदिवासी महाकुंभ में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
संवाद सहयोगी राजमहल(साहिबगंज) पूर्णिमा की शुरुआत के साथ ही शुक्रवार को सफाहोड़ व
संवाद सहयोगी, राजमहल(साहिबगंज) : पूर्णिमा की शुरुआत के साथ ही शुक्रवार को सफाहोड़ व विदिन जैसे आदिवासी और गैर आदिवासी समाज के लोगों का हुजूम गंगा स्नान व पूजा के लिए सूर्यदेव घाट पर उमड़ पड़ा। कई अखाड़ा से जुड़े सदस्यों ने पूजा की। शेष शनिवार की सुबह आराधना करेंगे। इस क्रम में परंपरागत वाद्य यंत्रों की धुन और संताली व ओलचिकी भाषा के धार्मिक गीतों की मधुरता ने राजमहल क्षेत्र में भक्ति की बयार बहने लगी। इस धार्मिक आयोजन को आदिवासी महाकुंभ कहा जाता है।
झारखंड के दुमका, गोपीकांदर, जसीडीह, गोड्डा, बोआरीजोर, बोरियो, बाकुड़ी, जमशेदपुर, बिहार के बांका, पीरपैंती और पश्चिम बंगाल के मानिकचक, रतवा, झाड़ग्राम, आसनसोल आदि जगहों से हजारों आदिवासी अपने गुरुओं के सानिध्य में मरांग गुरु की पूजा-अर्चना व गंगा स्नान के लिए यहां पहुंचे। सबसे पहले श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव घाट पर स्थाई तौर पर बनाए गए मांझी थान का दर्शन किया। भक्तों ने अपने गुरु के संग घंटों गंगा में खड़े रहकर मां गंगा की पूजा की और दान दिया। इसके बाद पंक्तिबद्ध होकर अपने-अपने अखाड़ा पहुंचे। वहां पूर्व से बनाए गए मांझी थान एवं जाहेर थान के समक्ष गंगाजल भरे लोटे को रखकर पूजा-उपासना प्रारंभ की। कई श्रद्धालुओं ने भगवान राम व लक्ष्मण का वेश धारण कर भगवान शंकर की पूजा की। विदिन समाज के जान गुरु अभिराम मरांडी ने बताया कि वे लोग मेला में मूलत: गंगा स्नान व गंगा तट पर मांझी थान एवं जाहेर थान बनाकर उसकी पूजा करने आते हैं। माघ की पूर्णिमा पर गंगा स्नान व पूजन से वर्षभर दु:ख-तकलीफ थोड़ी कम रहती है।
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नगर पंचायत व अनुमंडल प्रशासन रहा सक्रिय
श्रृद्धालुओं की सुरक्षा व मूलभूत सुविधाओं के लिए नगर व अनुमंडल प्रशासन सक्रिय रहा। पेयजल, शौचालय, प्रसाधन कक्ष, टेंट, खोया-पाया केंद्र, गंगा में बैरिकेटिग, नियंत्रण कक्ष आदि बनाए गए हैं। एनडीआरएफ की टीम व गोताखोरों को भी तैनात किया गया है। एसडीपीओ अरविद कुमार सिंह की अगुवाई में जगह-जगह पुलिस बल को तैनात किया गया है। सड़क व नदी मार्ग में लगातार गश्ती की जा रही है। प्रशासनिक रूप से की गयी व्यवस्था का जायजा देर रात एसडीओ हरिवंश कुमार पंडित, एसडीपीओ अरविद कुमार सिंह, पुलिस निरीक्षक राजेश कुमार व थाना प्रभारी प्रणीत पटेल ने लिया। एसडीओ ने बताया कि जितनी भी सुविधाएं प्रशासनिक रूप से प्रदान की जा रही है, यदि उसे सही ढंग से श्रद्धालुओं द्वारा प्रयोग किया जाए तो निश्चय ही व्यवस्था सार्थक होगी।