पहाड़िया अबतक अविकसित, झलकती आदम की झलक

साहिबगंज जिले की राजमहल की पहाड़ियों में फैले पहाड़ व जंगल में विधानसभा चुनाव की हलचल नहीं है। अबतक आदिम जन जातियों के बीच प्रत्याशी डोरे डालने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। राजमहल की पहाड़ियों में बसे 432 पहाड़ी गांवों को अबतक आदिम युग से मुक्ति नहीं मिल सकी है। जिले दो विधानसभा क्षेत्र बोरियो व बरहेट पहाड़ी क्षेत्रों में फैले हैं। जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में पांच प्रखंड आते हैं जिसमें पतना व बरहेट तथा सुंदरपहाड़ी जो गोड्डा जिले का पहाड़ी प्रखंड है वह बरहेट विधानसभा क्षेत्र में आता है। जबकि बोरियो तालझारी व मंडरो सहित गोड्डा जिले का पहाड़ी प्रखंड बोआरीजोर बोरियो विधानसभा क्षेत्र में आता है। बरहेट व बोरियो दोनों अजजा विधानसभा क्षेत्र हैं दोनों विधानसभा क्षेत्र में 12-12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 05:26 PM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 05:26 PM (IST)
पहाड़िया अबतक अविकसित, झलकती आदम की झलक
पहाड़िया अबतक अविकसित, झलकती आदम की झलक

धनंजय मिश्र, साहिबगंज: साहिबगंज जिले की पहाड़ियों में फैले पहाड़ व जंगल में विधानसभा चुनाव की हलचल नहीं है। अबतक आदिम जन जातियों के बीच प्रत्याशी डोरे डालने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। साहिबगंज की पहाड़ियों में बसे 432 पहाड़ी गांवों को अबतक आदिम युग से मुक्ति नहीं मिल सकी है। जिले के दो विधानसभा क्षेत्र बोरियो व बरहेट पहाड़ी क्षेत्रों में फैले हैं। जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में पांच प्रखंड आते हैं जिसमें पतना व बरहेट तथा सुंदरपहाड़ी जो गोड्डा जिले का पहाड़ी प्रखंड है। वह बरहेट विधानसभा क्षेत्र में आता है। जबकि बोरियो, तालझारी व मंडरो सहित गोड्डा जिले का पहाड़ी प्रखंड बोआरीजोर बोरियो विधानसभा क्षेत्र में आता है। बरहेट व बोरियो दोनों अजजा विधानसभा क्षेत्र हैं दोनों विधानसभा क्षेत्र में 12-12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। क्या हैं पहाड़ी क्षेत्रों के बुनियादी मुद़्दे व जमीनी हकीकत:

शिक्षा, स्वास्थ्य व पेयजल की समस्या पहाड़ी क्षेत्रों के मुद़्दे हैं। बोरियो प्रखंड के तेतरिया पहाड़ पर रहने वाले पहाड़िया आदिम जन जाति के बच्चों के बीच बेहतर शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है। प्रशासनिक अमला गांव में रहने वालों को साफ सुथरा रहने एवं बेहतर तरीके से पढ़ाई करने के संबंध में भी जानकारी नहीं दे पा रहा है। गांव का प्रधान चांदो पहाड़िया बताता है कि यहां गंदगी से बीमारी पनपती है। शौच जाने के बाद साबुन से हाथ साफ करने के बारे में ग्रामीण अनभिज्ञ हैं। गांव के बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जाते हैं। पहाड़िया गांव बिन्दरी बन्दरकोला भी विकास से महरुम है चार टोलो में विभक्त गांव में नब्बे पहाड़िया परिवार रहते हैं। प्रधान टोला, कॉलोनी टोला, सिमड़ा टोला एवं श्याम टोला गांव में ग्यारह ऐसे परिवार भी जिनके पास रहने के लिए आवास नही है। ये आज भी अपने टूटी-फूटी झोपड़ी में गुजारा करते है। गांव के कई बच्चे कुपोषण के शिकार है। ज्यादातर लोग कृषक एवं मजदूर है। कुरवा झूम खेती इनकी आजीविका का साधन है। गर्मी के दिनों में जलस्तर नीचे चले जाने से गांव के लोग झरना का पानी पीने को विवश होते हैं। क्या कहते हैं पहाड़ी गांवों के लोग:

बोरियो प्रखंड के तेतरिया पहाड़ गांव के प्रधान चादों पहाड़िया ने बताया कि गांव में पीने के पानी का घोर किल्लत है। दो चापाकल है दोनों खराब है। पीने के पानी के लिए लोगों को पहाड़ के नीचे जाना पड़ता है। गंदा पानी पीना पड़ता है। गांव के बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नहीं जाते हैं। मंगली पहाड़िन बताती है झरने के पानी से प्यास बुझानी पड़ती है। सूरजी पहाड़िन का कहना है कि गांव में आवागमन के लिए बेहतर सड़क तक नहीं है। मैसा पहाड़िया का कहना है कि सरकार उनके लाभ के लिए कुछ करती भी है तो बिचौलिया गांव तक लाभ पहुंचने नहीं देते हैं। पहाड़िया समाज के महेश मालतो का कहना है कि एक तरफ जहां जमीन पर 24 घंटे बिजली पहुंचाने की बात हो रही है तो पहाड़ पर विकास की रोशनी पहुंचाने में लापरवाही बरती जा रही है। क्या चल रहा है प्रशासनिक प्रयास: जिला प्रशासन की ओर से पहाड़ी गांवों में पेयजल की सुविधा के लिए डीएमएफटी की राशि से जल मीनार लगाने का कार्य चल रहा है। परंतु सभी गांवों तक इसकी पहुंच नहीं हो सकी है। गांवों में सोलर जलापूर्ति की योजना भी पहुंचनी बाकी है। पहाड़ी गांव में सालों पहले के प्राकृतिक जलस्त्रोत की पहचान कराने का कार्य भी प्रधानमंत्री जल शक्ति योजना से चल रहा है। जल संचय की योजना भी चल रही है परंतु जमीन पर योजना का लाभ नहीं पहुंच सका है। गांव में पीने के पानी की किल्लत है। चापाकल खराब हैं। पीने के पानी के लिए लोगों को पहाड़ के नीचे जाना पड़ता है। वहां से गंदा पानी लाकर पीना पड़ता है।

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