गंगा में हादसों से नहीं ले रहे सबक
जागरण संवाददाता साहिबगंज गंगा में लगातार हो रहे हादसों से भी सबक नहीं ले रहे हैं अ
जागरण संवाददाता, साहिबगंज : गंगा में लगातार हो रहे हादसों से भी सबक नहीं ले रहे हैं और जहाजों के संचालन के लिए नियम-कानून नहीं बनाया जा रहा है। गंगा में अनफिट जहाजों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। उनपर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से उसपर रोक नहीं लग पा रही है। राज्य में वर्तमान में बंगाल फेरी एक्ट 1855 के तहत पब्लिक फेरी का संचालन किया जा रहा है। इस एक्ट के तहत घाटों की बंदोबस्ती व जलयानों के संचालन को नियंत्रित करने का अधिकार उपायुक्त को दिया गया है। जानकारों का कहना है कि बंगाल फेरी एक्ट राज्य के अंदर जलयानों के संचालन के लिए बनाया गया था। ऐसी स्थिति में उपायुक्त उसे नियंत्रित व संचालित कर सकते थे लेकिन अंतरराज्यीय फेरी सेवा का संचालन इससे संभव नहीं है। नियम-कानून के अभाव में राज्य में वह चल रहा है। इस वजह से किसी प्रकार का हादसा होने पर प्रशासन किसी को उसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा पाता है। दो साल पूर्व भी समदा में एक जहाज असंतुलित हो गया था और आधा दर्जन से अधिक ट्रक गंगा में समा गए थे लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
चार माह से गंगा किनारे खड़ा है जहाज : वर्तमान में साहिबगंज से कटिहार के मनिहारी व राजमहल से पश्चिम बंगाल के मानिकचक के बीच फेरी सेवा का संचालन किया जाता है। प्राइवेट ऑपरेटर यहां जहाजों का संचालन करते हैं। उनके द्वारा मनमाना भाड़ा वसूला जाता है। सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं किया जाता है। गंगा पार करनेवाले लोगों की जान हमेशा सांसत में रहती है। इसके मद्देनजर भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने राज्य सरकार को इन रूट पर रोरो (रोल ऑन रोल ओवर) सेवा शुरू करने के लिए जहाज उपलब्ध कराने की पेशकश की। एक जहाज विगत चार माह से समदा में खड़ा है, लेकिन राज्य सरकार उसके संचालन के संबंध में नियमावली नहीं बना सकी है। अगर यह सेवा शुरू हो जाती तो हजारों लोगों को फायदा होता। बताया जाता है कि जुलाई में ही कई राज्यों को प्राधिकरण ने जहाज उपलब्ध कराया। गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उसका परिचालन शुरू हो चुका है जबकि यहां अब तक कोई पहल नहीं हुई है। इसके लिए अंतरराज्यीय जलमार्ग प्राधिकरण व राज्य सरकार के बीच एक एमओयू होना है। साहिबगंज को मिलनेवाले चार जहाजों में दो रो रो व्हेसल व दो रो पैक्स है। रो-रो व्हेसल से एक बार में माल लदे 12 से 15 ट्रक को गंगा पार कराया जा सकेगा जबकि रो पैक्स से पांच-छह ट्रकों के अलावा करीब दो सौ यात्रियों का एक बार में पार कराया जा सकेगा।
मल्टी मॉडल टर्मिनल का उपयोग नहीं : करोड़ों की लागत से यहां मल्टी माडल टर्मिनल का निर्माण कराया गया है। यहां से जहाजों की आवाजाही शुरू है। इसी क्रम में जून 2020 में जिला प्रशासन ने चार कंपनियों को यहां से मालवाहक जहाजों के संचालन की अनुमति दी। दो-चार दिन जहाजों का संचालन हुआ भी लेकिन बाद में परिवहन सचिव ने यह कहकर परिचालन पर रोक लगा दी कि पूर्व में जिला प्रशासन द्वारा घाटों की बंदोबस्ती की जाती थी। मल्टी माडल टर्मिनल से जहाजों का संचालन शुरू होने से राज्य सरकार का राजस्व प्रभावित होगा। इसके बाद से वहां से जहाजों का परिचालन बंद हो गया। ऐसे में टर्मिनल का उपयोग नहीं हो रहा है।
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हल्दिया से इलाहाबाद तक गंगा नदी को राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक घोषित किया गया है। इसके रखरखाव व विकास की जिम्मेदारी भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण को दी गई है। इस रूट पर चलनेवाले जलयानों के लिए प्राधिकरण की सहमति व उनके द्वारा निर्धारित मानकों का पालन जरूरी है लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं हो रहा है। इस वजह से भी हादसे हो रहे हैं। राज्य सरकार को यहां इस एक्ट को सख्ती से लागू करना चाहिए।
प्रशांत कुमार, उपनिदेशक, भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण, साहिबगंज