कटावरोधी कार्य में सीडब्ल्यूसी व आइडब्ल्यूएआइ से विमर्श करेगा प्रशासन

साहिबगंज सदर प्रखंड के कबूतरखोपी चानन ओझा टोली आदि इलाके में गंगा में लगातार हो रहे कटाव को रोकने में जिला प्रशासन केंद्रीय जल आयोग व अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से भी विमर्श करेगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:24 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 06:24 PM (IST)
कटावरोधी कार्य में सीडब्ल्यूसी व आइडब्ल्यूएआइ से विमर्श करेगा प्रशासन
कटावरोधी कार्य में सीडब्ल्यूसी व आइडब्ल्यूएआइ से विमर्श करेगा प्रशासन

जागरण संवाददाता, साहिबगंज : साहिबगंज सदर प्रखंड के कबूतरखोपी, चानन, ओझा टोली आदि इलाके में गंगा में लगातार हो रहे कटाव को रोकने में जिला प्रशासन केंद्रीय जल आयोग व अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से भी विमर्श करेगा। बुधवार को कलेक्ट्रेट में हुई नमामि गंगे परियोजना के नोडल पदाधिकारी, गंगा पंप नहर व सीवरेज का निर्माण व संचालन करनेवाली कंपनी तोशिबा के अधिकारियों की बैठक में उपायुक्त रामनिवास यादव ने इन दोनों ने अधिकारियों को बुलाने के लिए पत्र भेजने का निर्देश दिया।

उपायुक्त ने बताया कि दोनों ही संस्था कटावरोधी कार्य में बेहतर सुझाव दे सकते हैं। इसी वजह से दोनों से संपर्क करने का निर्देश दिया गया है। उनलोगों से विमर्श करने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू होगी। उधर, प्लांट को कटाव से बचाने के लिए तोशिबा कंपनी की ओर से स्वयं व्यवस्था की जा रही है। कंपनी की ओर से प्लांट की बोल्डर से घेरेबंदी कराने का प्रस्ताव है। गंगा पंप नहर की ओर से पूरे क्षेत्र में कटावरोधी कार्य शुरू कराने के लिए 13 करोड़ 48 लाख 63200 रुपये का प्राक्कलन प्रशासनिक स्वीकृति के लिए सरकार को भेजा गया है लेकिन अब तक उसकी स्वीकृति नहीं मिली है। सरकार की ओर से स्वीकृति मिलने के बाद ही कटावरोधी काम शुरू हो सकेगा।

वैसे पिछले माह जिले के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा था कि बिना केंद्र की सहायता के गंगा में कटावरोधी कार्य कराना संभव नहीं है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पूर्व में उधवा प्रखंड के खट्टीटोला में 1200 मीटर में कटावरोधी कार्य का प्राक्क्लन सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गया था लेकिन मात्र 400 मीटर में कार्य कराने की अनुमति मिली। इसी तरह राजमहल प्रखंड में 495 मीटर में कटावरोधी कार्य का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन मात्र 165 मीटर में काम कराने की स्वीकृति मिली।

सीवरेज प्लांट के क्षतिग्रस्त होने से क्या होगा नुकसान : गंगा किनारे बसे शहरों में नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवरेज सिस्टम का निर्माण कराया गया। इसका उद्देश्य गंगा को प्रदूषित होने से रोकना है। पूर्व में शहर की सभी नालियां गंगा नदी में गिरती थी। नमामि गंगे परियोजना के तहत सौ करोड़ 32 लाख की लागत से साहिबगंज में सीवरेज सिस्टम का निर्माण कराया गया। साहिबगंज में इसका काम दो साल पूर्व पूरा हो चुका है। साहिबगंज नगर परिषद में घरों से निकलनेवाले गंदे पानी को सात पंप हाउस के माध्यम से घोरमारा पुल व चानन में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है जहां उस पानी को साफ कर गंगा में छोड़ा जाता है। इन्हीं में से चानन में निर्मित एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट कटाव की चपेट में है। अगर इस प्लांट का नुकसान हुआ तो शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा में जाएगा जिससे गंगा नदी में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाएगा। वैसे नगर विकास विभाग से हुए समझौते के तहत दस साल तक तोशिबा कंपनी को सीवरेज प्लांट का संचालन करना है। दोनों वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता पांच से सात मिलियन लीटर पानी के प्रतिदिन साफ करने की है। करीब 55 किलोमीटर पाइप शहर में बिछाया गया है।

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साहिबगंज सदर प्रखंड में गंगा में हो रहे रोकने के लिए कटावरोधी कार्य होना है। इसके लिए केंद्रीय जल आयोग व अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों से भी विमर्श किया जाएगा। दोनों संस्थाओं के अधिकारियों को पत्र भेजने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है।

रामनिवास यादव, डीसी, साहिबगंज

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