श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त से तिरुमंजन महासेवा

रातू रोड स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में संपूर्ण रात्रि व्यापिनी पूजा होगी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:00 AM (IST)
श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त से तिरुमंजन महासेवा
श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त से तिरुमंजन महासेवा

जासं, रांची: मंगलवार को रातू रोड स्थित श्रीलक्ष्मी वेंकटेश्वर मंदिर में संपूर्ण रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा तिथि होने से शरद् पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। दिन भर के सेवा, दैनिक पूजा, भोग, आरती आदि आयोजन के पश्चात रात्रि 8 बजे से सामूहिक श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ तथा हरि नाम संकीर्तन होगा। तदन्तर श्रीभगवान की रात्रि आराधना, आरती एवं भोग लगने के पश्चात शयनाधिवाश सेवा के बाद कार्यक्रम की पूर्णाहुति की जाएगी। शरद पूर्णिमा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्णिमा है। इसे कोजागरा तथा रास की पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा की रात्रि साधना के लिए ऊंचे आदर्श को बताने वाली रात्रि है। इस दिन साधना की परिपूर्णता का जो परम फल होता है, वह प्राप्त किया श्रीगोपांगनाओं ने। गोपांगनाओं के हृदय में विशुद्ध प्रेमामृत भरा हुआ था। रास की पूर्णिमा त्याग की पराकाष्ठा का रूप बतलाने वाली है। शरद पूर्णिमा वह धार्मिक पर्व है जिसमें चन्द्रमा के पूर्ण स्वरूप का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन चन्द्र देव पूरी 16 कलाओं के साथ उदय होते हैं। यह मान्यता है कि श्री कृष्ण सभी सोलह कलाओं से युक्त थे। चन्द्रमा से उत्पन्न होने वाली रश्मियां (किरणें) अद्भुत स्वास्थ्यप्रद तथा पुष्टिव‌र्द्धक गुणों से भरपूर होती है। साथ ही यह मान्यता भी है कि इस दिन चंद्र प्रकाश से अमृत की वर्षा होती है। श्रद्धालु इस दिन खीर बना कर इसे चन्द्रमा के सभी सकारात्मक एवं दिव्य गुणों को पाने के लिए खीर वाले बर्तन को चन्द्र प्रकाश के सीधे संपर्क में रखते हैं। इस खीर प्रसाद को औषधि रूप में अगली सुबह ग्रहण करना चाहिए।

chat bot
आपका साथी