Women's Safety In Ranchi : महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम तो कई उठे, पर बढ़े नहीं
Womens Safety In Ranchi महिलाओं की सुरक्षा(Womens Safety) के लिए कई कदम उठाए गए पर ये कदम ठिठक गए। आगे ही नहीं बढ़े। कभी पायलट प्रोजेक्ट(Pilot Project) बनाए गए तो कभी हेल्पलाइन नंबर(Helpline Number) जारी किया गया पर उनमें से कुछ ही सफल हो पाया।
रांची (श्रद्धा छेत्री) जासं। Women's Safety In Ranchi : महिलाओं की सुरक्षा(Women's Safety) के लिए कई कदम उठाए गए पर ये कदम ठिठक गए। आगे ही नहीं बढ़े। कभी पायलट प्रोजेक्ट(Pilot Project) बनाए गए तो कभी हेल्पलाइन नंबर(Helpline Number) जारी किया गया, पर उनमें से कुछ ही सफल हो पाया। दरअसल, इसके पीछे का कारण जागरूकता की कमी है। महिलाओं को अब भी इन सेवाओं की जानकारी नहीं है। प्रचार प्रसार में कमी होने के कारण आज भी अधिकतर महिलाएं इन सेवाओं से अवगत नहीं हैं।
राज्य की बेटियों(Daughters Of State) की सुरक्षा के लिए 2015 में शक्ति एप(Shakti App) को लांच किया गया था। शक्ति कमांडो(Shakti Commando) की भी शुरुआत की गई थी। शक्ति एप को पुलिस पीसीआर से जोड़ा गया था। कोई भी महिला मुसीबत के समय एप का इस्तमाल कर सुरक्षा पा सकती हैं। लेकिन एप बनने के पांच साल बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं बढ़ा। अधिकतर महिलाओं को इस शक्ति एप के बारे में जानकारी नहीं है। 2021 की बात करें तो 6 महीने में केवल 32 मामले ही शक्ति एप पर दर्ज हुए हैं। हालांकि दर्ज 32 मामलों का निष्पादन भी किया गया है।
नहीं दिखतीं शक्ति कमांडो :
शक्ति एप के साथ शक्ति कमांडो भी लांच हुआ था। शक्ति कमांडो में 20 स्कूटी पर 40 महिला शक्ति कमांडो को तैनात किया गया था। शक्ति कमांडो को मोबाइल, वाकी-टॉकी व हथियार भी दिए गए थे। उन्हें स्कूल- कॉलेज जहां छात्राओं की संख्या ज्यादा है, उन स्थानों पर सुरक्षा में तैनात किया गया था ताकि छात्राएं महफूज महसूस कर सके। साथ ही किसी तरह की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा सके। लेकिन कॉलेज परिसर में शक्ति कमांडो तो दूर, पीसीआर तक नहीं दिखाई देतीं।
वन स्टॉप सेंटर : 5 साल में 164 मामले ही दर्ज :
कांके के रिनपास स्थित वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई थी। पांच साल बीत गए लेकिन वहां केवल 164 मामले ही दर्ज हुए है। इस सेंटर पर कोई भी पीड़िता महिला हेल्पलाइन के माध्यम से या किसी के साथ या खुद अकेले जाकर मदद ले सकती हैं। सेंटर खुलने के शुरुआत जोर-शोर से प्रचार होने के कारण काफी संख्या में महिलाएं सेंटर पर आती थी। लेकिन जैसे-जैसे प्रचार कम होता गया महिलाओं की संख्या भी कम होती गई। अब सेंटर पर इक्की-दुक्की महिलाएं ही जाती है।
जहां महिलाएं लगाती हैं मदद की गुहार, वहां नहीं हो रही सुनवाई :
राज्य महिला आयोग, न्याय की आस लिए जहां महिलाएं अपनी फरियाद लेकर आती हैं वो पिछले डेढ़ साल से अध्यक्ष विहीन हो गया है। पिछले साल जून माह में राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष कल्याणी शरण रिटायर हो गईं थीं। इसके बाद से किसी और अध्यक्ष को पदभार नहीं सौंपा गया है। कुल 3500 से ज्यादा मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं। जिसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। राज्य के कोने-कोने से आई महिलाएं न्याय के लिए भटक रही हैं।
क्या कहती हैं युवतियां: ये किस चीज का एप है। इससे होता क्या है। इसे कैसे यूज कर सकते है। इसे यूज करने से क्या होगा। इसके बारे में जानकारी नहीं है: नेहा शक्ति ऐप्प क्या है। कभी सुना नहीं इसके बारे में। ये ऐप्प क्या करता है: शिवानी एक दोस्त के जरिए इस ऐप्प के बारे में पता चला। लेकिन ये ऐप्प क्या-क्या करता है इसकी जानकारी नहीं है। ये कैसे यूज होता है: निशु शक्ति कमांडो के बारे में कभी नहीं सुना। काॅलेज खुलने के बाद शायद ही कभी कोई दिखी हो। लेकिन अभी तो कोई महिला पुलिस दिखाई नहीं दी है: निकिता कोरोना काल में कॉलेज बंद होने से पहले पुलिस रहती थी। लेकिन अभी हाल ही जब से कॉलेज खुला है तब से मुझे तो कोई दिखाई नहीं दिया है। पहले पीसीआर भी लगी रहती थी। लेकिन अभी तो वो भी नहीं दिखाई दे रहीं: निशा शक्ति कमांडो के बारे में पता नहीं है। कॉलेज खुलने के बाद से कोई महिला पुलिस भी नहीं दिखाई दी है। आप भी देख ही सकते है कि आसपास कोई पुलिस मौजूद नहीं है: खुशबू