Bengal Election: जटिल होगा झाड़ग्राम का चुनावी संग्राम, तृणमूल के गढ़ पर झामुमो की नजर

Bengal Election News जंगलमहाल क्षेत्र में नक्सलियों के खात्मे से रौनक लौटी है। रेलवे की तीसरी लाइन का काम आरंभ होने से उत्साह है। तृणमूल के गढ़ में वोटों के बिखराव की भी कवायद है। झामुमो की नजर जनजातीय समुदाय को रिझाने पर है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 08:14 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 02:00 PM (IST)
Bengal Election: जटिल होगा झाड़ग्राम का चुनावी संग्राम, तृणमूल के गढ़ पर झामुमो की नजर
West Bengal Election तृणमूल के गढ़ में वोटों के बिखराव की भी कवायद है।

प्रदीप सिंह, झाड़ग्राम। जिन इलाकों में दस साल पहले तक सुरक्षा बलों की चहलकदमी सन्नाटे को तोड़ती थी, आज वहां गरमा धान की फसल लहलहा रही है। पश्चिम बंगाल के जंगलमहाल का इलाका झाड़ग्राम अब पीछे मुड़ने को भी तैयार नहीं है। फुटबाल यहां के लोगों की पहली पसंद है और राजनीतिक शोरगुल व सभाओं के बीच नेताओं को इससे जलन भी होती है कि उन्हें सुनने की बजाय सबसे ज्यादा भीड़ खेल के मैदान में जुटती है। लोग दो से दस रुपये की टिकट लेकर फुटबाल मैच का आनंद उठाते हैं।

ओरो से झाड़ग्राम ग्राम जिला मुख्यालय 37 किलोमीटर दूर है। यहां बाजार लगा है और दो हजार से ज्यादा लोग फुटबाल मैच देखने जुटे हैं। यह नजारा आम है। 12वीं में पढ़ने वाले आनंदो कहते हैं- सर, फुटबाल मैच शाम में शुरू होगा। दोपहर तक सारे टिकट बिक चुके हैं। अब यहां कोई डिस्टर्ब भी नहीं करता। कोई डर-भय नहीं है आने-जाने में। रास्ते में लोधाशोली जंगल है। लंबे-लंबे पेड़ और सघन वन क्षेत्र। यह नक्सलियों के साथ-साथ सड़क लुटेरों के छिपने का ठिकाना था।

अब यहां पुलिस चेकपोस्ट है। सतर्क सुरक्षाकर्मी लगातार चौकसी करते हैं। इलाके से रेलवे की तीसरी लाइन गुजर रही है खड़गपुर से झाड़ग्राम तक। बीनपुर के पास सड़क किनारे खड़े बुजुर्ग सीताराम सोरेन रिटायर्ड हेड मास्टर हैं। वे कहते हैं- पहले कोई इस इलाके पर ध्यान नहीं देता था। रोड के साथ-साथ रेलवे का नेटवर्क ठीकठाक होने से व्यापार बढ़ेगा। चुनाव को लेकर पूछने पर कहते हैं- हमलोग लोकसभा चुनाव में मोदीजी को 'भोट' दिए। विधानसभा चुनाव में भी सोच-समझकर वोट करेंगे।

सरस्वती पूजा के आयोजन की खुमारी यहां महसूस की जा सकती है। मूर्तियां विसर्जित की जा चुकी हैं, लेकिन पंडाल सजा है और गाना-बजाना भी चल रहा है। यहां लोगों को झारखंड का नागपुरी संगीत पसंद है। महावीर मुर्मू स्नातक तक पढ़े हैं। उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता जाने की तैयारी में हैं। उनके मुताबिक लोग दीदी (ममता बनर्जी) के कामकाज से खुश हैं। चुनाव में भले ही उलटफेर की बातें हो रही हैं, लेकिन ज्यादा कुछ बदलने वाला नहीं है।

उनके साथी मनोज हांसदा भी उनकी बातों पर हामी भरते हैं। झारखड से सटे होने के कारण यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी असर है। कुछ दिन पहले इस क्षेत्र में झारखंड के मु्ख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने बड़ी जनसभा भी की। जिसपर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने आपत्ति भी जताई थी। इसके बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) इन इलाकों में चुनाव लड़ने को लेकर गंभीर है। फोकस जनजातीय समुदाय के वोटों पर है। मोर्चा की दिलचस्पी से वोटों का बिखराव हुआ तो चुनाव परिणाम में उलटफेर हो सकता है।

भाजपा ने यहां अर्जुन मुंडा को लगाया है मिशन पर

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा झाड़ग्राम और उससे सटे जिलों का लगातार दौरा कर रहे हैं। बांग्ला भाषा पर अच्छी पकड़ होने के कारण अर्जुन मुंडा यहां लोगों से बेहतर तरीके से संवाद करने में सक्षम हैं। लंबे वक्त तक झारखंड की सत्ता पर रहने के कारण उनका यहां प्रभाव भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां मिली सफलता से भाजपा का उत्साहित होना लाजिमी है। झाड़ग्राम से सटे मेदिनीपुर का प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष करते हैं। घोष की जुझारू छवि है और वे भाजपा के प्रमुख चेहरों में हैं। इसका असर भी झाड़ग्राम पर पड़ेगा।

दो सीटें जनजातीय के लिए सुरक्षित

झाड़ग्राम में आदिवासी मतदाता प्रभावी भूमिका में हैं। नयाग्राम और बीनपुर अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटें हैं, जबकि गोपीबल्लभपुर, झाड़ग्राम, सालबनी सामान्य सीटें हैं। सभी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। यह भी आश्चर्यजनक है कि तृणमूल का गढ़ होने के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां कामयाबी के झंडे गाड़े थे। झाड़ग्राम का 94.73 प्रतिशत इलाका ग्रामीण है। यहां की आबादी में 25.76 फीसद आदिवासी और 18.24 प्रतिशत अनुसूजित जाति की हिस्सेदारी है।

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