Jharkhand Government: मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, 2006 से गांवों में बन रहा कुआं, इस हिसाब से हर खेत में होना चाहिए, लेकिन है कहां

ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने मनरेगा के तहत संचालित की जाने वाली नई-पुरानी योजनाओं पर सवाल उठाए हैं। कहा कि मनरेगा योजना 2006 से प्रभावी है। आज तक हर खेत में कुआं होना चाहिए था। लेकिन गांव में जाकर देखें तो दिख जाएगा कि वहां कितना कुआं है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 02:11 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 02:11 PM (IST)
Jharkhand Government: मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, 2006 से गांवों में बन रहा कुआं, इस हिसाब से हर खेत में होना चाहिए, लेकिन है कहां
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने मनरेगा से विकास' कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

रांची,राब्यू। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने अपने ही विभाग में मनरेगा के तहत संचालित की जाने वाली नई-पुरानी योजनाओं पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने खेत या गांव में बनने वाले कुएं का उदाहरण देते हुए कहा कि मनरेगा योजना 2006 से प्रभावी है। हर वर्ष, हर गांव में पांच-पांच कुएं दिए जाते हैं। हमारे आने के बाद तो इसे 10-10 कर दिया गया। इस लिहाज से देखें तो हर खेत में कुआं होना चाहिए था। लेकिन गांव में जाकर देखें तो दिख जाएगा कि वहां कितना कुआं है। यह भी पूछा कि हर साल बनने वाले बकरी शेड कहां हैं। ग्रामीण विकास मंत्री ने बुधवार को मनरेगा के तहत, 'ग्रामीणों से आस, मनरेगा से विकास' नामक नई योजना की लांचिंग के मौके पर यह बातें कहीं।

अपने स्वाभाव के विपरीत आलमगीर आलम ने मनरेगा के तहत किए जा रहे काम काम पर सवाल उठाए। कहा, मनरेगा के तहत पीडीसी जेनरेट होता है और काम भी होता है लेकिन धरातल पर नहीं दिखता। कहा, मैं अपने क्षेत्र से रांची आने के क्रम में छह जिलों से गुजरता हूं, लोगों से मिलता हूं। रोजाना ढेरों शिकायतें सुनने को मिलती हैं। उन्होंने पदाधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली पर सीधे सवाल उठाए और मौके पर उपस्थित ग्रामीण विकास सचिव मनीष रंजन और मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी से कहा कि ऐसे लोगों को दंडित करें।

आलमगीर आलम ने कहा कि वे दिल्ली से आने के बाद मनरेगा के कामकाज की विस्तृत समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि बीडीओ का दायित्व सबसे ज्यादा है। बीडीओ सब जानते भी हैं, कुछ कहने की जरुरत नहीं है। ऐसे में उनका दायित्व है कि काम की समीक्षा करें। किस योजना में कितना पैसा लग रहा है और उसका आउटपुरट कितना आ रहा है, इसकी पड़ताल जमीनी स्तर पर जाकर करें। इस मौके पर ग्रामीण विकास सचिव मनीष रंजन, मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

 

150 प्रखंडों में चलेगी, 'ग्रामीणों से आस, मनरेगा से विकास' योजना

ग्रामीण विकास विभाग की 'ग्रामीणों से आस, मनरेगा से विकास' योजना राज्य के कुल 264 प्रखंडों में से 150 प्रखंडों में चलेगी। इन प्रखंडों में मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों की गति सुस्त रही है। यहां विशेष योजनाएं चलाकर न सिर्फ परिसंपत्तियों का सृजन किया जाएगा बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित किए जाएंगे। ग्रामीण विकास मंत्री ने योजना को लांच करते हुए कहा कि रोजगार के सृजन के दौरान महिलाओं, आदिवासियों को अधिक से अधिक काम देने पर विभाग का जोर होगा।

उन्होंने कहा कि 22 सितंबर से 15 दिसंबर तक चलने वाली योजना वैसे तो 150 प्रखंडों में चलेगी लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसमें और भी प्रखंड जोड़े जा सकते हैं। इस मौके पर उन्होंने विशेष रूप से पिछले वर्ष कोरोना महामारी के दौरान लांच की गई नीलांबर-पीतांबर और बिरसा हरित ग्राम योजना की चर्चा की। कहा, मुश्किल वक्त में इन योजनाओं के जरिए ग्रामीणों को रोजगार दिया गया। हमारी कोशिश है कि गांव में रहने वाले, हर गरीब, किसान व मजदूर को रोजगार मिले। इसी कड़ी में हम लोग लगातार प्रयास करते आ रहे हैं। इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री ने अच्छे कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया।

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